वैसे तो भारत को
क्रिकेट का देश माना जाता है। लेकिन यहां WWE रेसलिंग के भी फैंस की कमी नहीं है। 90 के दशक के बाद से जिन लोगों ने बचपन देखा है
उनके लिए WWF (जो बाद में WWE
बना) रेसलिंग एक खेल से कहीं बढ़कर है। अपनी
स्क्रीप्टेड खेल को लेकर हमेशा से ही सवालों में रही रेसलिंग की दुनिया जितनी
दिलचस्प होती है उतनी ही खतरनाक भी। यहां मौत हर सेकेंड दावत देती है। लेकिन जो
मौत को जीत लेता है वो डेडमैन कहलाता है। आपने शाहरुख खान की फिल्म बाजीगर का वो डायलॉग
तो सुना ही होगा— हार कर जीतने वाले को
बाजीगर कहते हैं। यह तो महज फिल्मी डायलॉग हे लेकिन अंडरटेकर को देखकर यह यकीं हो
जाएगा कि मौत को जीतने वाले को बाजीगर नहीं डेडमैन कहते हैं। अंडरटेकर कई बार मौत के मुंह में जाकर भी उसे मात दे आए हैं, तभी डेडमैन कहलाते हैं। उस डेडमैन के कई
नाम हैं। उसे कोई केन द अंडरटेकर तो कोई मार्क कैलॉस या फिर मास्टर ऑफ पेन,
पनिशर डाइस मॉर्गन और द पनिशर के नाम से याद
करता है। अंडरटेकर वो नाम है जिसने रिंग में अपने
खेल, अग्रेसन और जीत के बाद जश्न के तरीकों से करीब तीन पीढ़ियों का मनोरंजन किया है। लेकिन अब यह
चैंपियन दोबारा रिंग में नहीं उतरेगा। दरअसल, पिछले दिनों
अंडरटेकर ने रेसलमैनिया 33 में अंडरटेकर की
रोमन रेंस के हाथों हार के साथ WWE को अलविदा कह
दिया।
अंडरटेकर आज भी
लोगों के वीडियो गेम्स में मौजूद है। भारत में दीवानगी का अंदाजा इस बात से लगाया
जा सकता है कि जब सिनेमाई पर्दे पर नकली अंडरटेकर की बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार के
खिलाफ जंग दिखाई गई तो दर्शकों ने हाथों — हाथ लिया। दरअसल, फिल्म 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी' में अक्षय कुमार ने एक फाइट के सीन में अंडरटेकर को कंधे पर
उठा लिया। यही वो वक्त था जब लोगों की सांसें थम गईं। तब लोगों को लगने लगा कि
अक्षय कुमार ही बॉलीवुड का खिलाड़ी बन सकता है। दीवागनी ऐसी कि 1996 में आई इस फिल्म में नकली अंडरटेकर को
फिल्माया गया था, यह किसी को आज भी
भरोसा नहीं होता। अंडरटेकर की छवि सिर्फ
डेडमैन की नहीं थी, वह दिलेर भी है। वह
कमाई का बड़ा हिस्सा दान कर देते हैं। उन्होंने जानवरों के लिए चैरिटी भी शुरू
की है।
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