गया वो जमाना जब फिल्मों में किसिंग सीन दिखाने के लिए फूलों का सहारा लिया जाता था, अब शुद्घ देसी रोमांस का दौरा है। नई पीढ़ी व्यावहारिक हो चली है। प्रेम और सेक्स दो अलग - अलग चीजें नहीं हैं। हम स्वीकारें या न स्वीकारें यही इस दौर की सच्चाई है । लेकिन एक - दो साल या इससे ज्यादा भी किसी रिश्ते में रहने के बाद लड़की अचानक बलात्कार का आरोप लगाए तो सवाल खड़े होते ही हैं। कानूनी और सामाजिक दोनों पहलुओं से प्रेम का यह नया चलन विचार की मांग कर रहा है। खासकर आज वेलेंटाइन डे के मौके पर इसकी प्रासंगिकता कहीं ज्यादा हो जाती है।
साल 2014 के सितंबर का महीना था। भारतीय हॉकी टीम एशिया कप में गोल्ड मेडल जीतकर स्वेदश लौटी थी। दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर टीम का भव्य स्वागत हुआ। इसी दौरान गले में मेडल पहने कप्तान सरदार सिंह संग एयरपोर्ट पर एक अनजान सी लड़की मुस्कुराते हुए दिखी। संभवतः देश ने इसी दिन पहली बार उस लड़की को सरदार सिंह की प्रेमिका और मंगेतर के रूप में देखा। इस रिश्ते को इन दोनों की समय - समय पर आई रोमांटिक तस्वीरों और सरदार के बयानों से मुहर लगी लेकिन पिछले कुछ समय से हम मीडिया में उन खुशनुमा तस्वीरों के साथ ही इस प्रकरण का कड़वा क्लाइमेक्स भी देख रहे हैं। दरअसल, सरदार पर उसी लड़की ने बलात्कार से लेकर जबरन गर्भपात कराने तक के आरोप लगा दिए हैं। अब सरदार लगातार सफाई देने में जुट गए हैं कि वह मंगेतर नहीं दोस्त है। बहरहाल, सच क्या है यह जांच का विषय है लेकिन क्या इसे बलात्कार की संज्ञा दी जा सकती है? क्या लगभग तीन साल तक बतौर प्रेमी- प्रेमिका एक साथ रहने के बाद कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका का बलात्कार कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अगर दो वयस्क व्यक्ति आपसी रजामंदी से शादी के बगैर साथ रहते हैं और संबंध बनाते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है। यह अपराध नहीं है। साथ रहना जीवन का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के अनुसार, देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो शादी से पहले सेक्स संबंध की मनाही करता हो। कोर्ट के मुताबिक अगर बिना शादी किए कोई जोड़ा एक साथ पति-पत्नी की तरह रहा है तो दोनों कानूनी रूप से शादीशुदा माने जाएंगे। लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिससे कोर्ट भी परेशान है। वैसे तो दो लोगों के बीच के प्रेम प्रसंग में निश्चित रूप से कोर्ट की दिलचस्पी नहीं रही है लेकिन न्यायाधीश ऐसे मामलों में असमंजस में रहते हैं। 27 जून, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों, न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और एस.के. सिंह ने एक सुनवाई के दौरान कहा था, ' इट इज नॉट क्यूपिड बट स्टुपिड' यानी यह प्रेम नहीं बेवकूफी है। न्यायाधीश ऐसे केस की सुनवाई कर रहे थे जिसमें एक पूर्व एअर होस्टेस और एक बैंकर तीन साल तक प्रेम और लिव इन रिलेशन में रहने के बाद अदालत में बलात्कारी और बलात्कार पीड़ित के रूप में आमने-सामने थे। लड़की का कहना था कि शादी के वादे के बिना वह यौन संबंध कभी नहीं बनाती। वहीं बैंकर का जवाब था कि लड़की अच्छी तरह से जानती थी कि मैं पहले से शादीशुदा हूं। न्यायाधीशों ने उन दोनों को एक-दूसरे की अश्लील तस्वीरें खींचकर अदालत में दिखाने के लिए फटकार लगाई। कोर्ट की टिप्प्णी थी कि आगे ऐसे और भी मामले हमारे सामने आ सकते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए भी। इसी में एक मामला बॉलीवुड अभिनेत्री प्रिटी जिंटा से भी जुड़ा। पिछले साल आईपीएल टीम किंग्स इलेवन पंजाब की को-ओनर प्रीति जिंटा ने टीम के अन्य को-ओनर नेस वाडिया पर उनसे बदसलूकी और गलत व्यवहार का आरोप लगाया। इस बारे में बकायदा पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई गई। यहां यह बताना जरूरी है कि नेस और प्रिटी के बीच करीब दस साल से एक 'खास' रिश्ता था। इस रिश्ते को लेकर दोनों बेहद गंभीर भी थे लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि वाडिया कानून की नजर में 'छिछोरे' बन गए। तो यहीं से यह सवाल मौजूं हो जाता है कि क्या इस दौर में प्यार की परिभाषा बदल गई है या फिर इसका नाम "अहंकार', "बदले की भावना', "ब्लैकमेलिंग' और 'पैसे वाला लव' हो चला है। कुछ साल पहले की ही बात है दिल्ली में नौकरी मिलने के बाद साथ काम करने वाले एक लड़के और लड़की ने साथ रहने का फैसला किया। लगभग तीन साल तक साथ रहने के बाद लड़का अचानक गायब हो गया और उसने अपना फोन भी स्विच ऑफ कर लिया। लड़की ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई कि न केवल लड़के ने शादी का वादा करके उससे साथ शारीरिक संबंध बनाए बल्कि पैसे भी उधार लिए। उसने पुलिस में इस बात की भी शिकायत की कि लड़के की बहन और उसकी मां ने भी फ्लैट में आकर उसके साथ मारपीट की। रिपोर्ट के आधार पर लड़का, उसकी मां और बहन को गिरफ्तार कर लिया गया। जब मामला कोर्ट में पहुंचा तो लड़की पुलिस में की गई शिकायत के अनुसार बयान देने के लिए सामने नहीं आई और न ही उसने अपने साथ बने शारीरिक संबंध या मारपीट के बारे में सबूत पेश किए। कोर्ट ने लड़की की रिपोर्ट को प्रेमी को वापस पाने और मोटी रकम लेने की एक कोशिश भर करार दिया और सभी को बरी कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने पुलिस को भी कड़ी फटकार भी लगाई। ऐसा ही एक प्रकरण साल 2003 में आया था। जब लिव इन में रह रही एक युवती ने शादी का झांसा देकर करीब छह साल पुराने प्रेमी पर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया। शीर्ष अदालत ने शख्स को बरी कर दिया क्योंकि अदालत का मानना था कि 'जब दो लोग प्रेम और रोमांस में डूबे हों तो शादी का वादा बहुत मायने नहीं रखता।' दरअसल, वर्तमान में प्यार भी भोग विलास की चीज हो चली है। वर्तमान में युवा लगातार प्यार की परिभाषा को अपने हिसाब से गढ़ रहे हैं। तभी तो प्यार के दिन के लिए जिस वेलेंटाइन डे को जाना जाता था वह अब प्यार से ज्यादा महंगे गिफ्ट्स के आदान प्रदान के लिए जाना जाने लगा है यानी की रिश्तों में प्यार से ज्यादा दिखावट और मार्केट ने अपनी जगह बना ली है। अब प्रेमिकाओं को प्रेमी का सिर्फ साथ नहीं बल्कि साथ के साथ साथ महंगे रेस्तरां में लंच और महंगे गिफ्ट्स चाहिए होते हैं वही दूसरी और प्रेमी को प्रेमिका की प्यार भरी बातें ही नहीं बल्कि बातों के साथ कुछ खास लम्हें भी चाहिए। अब तो एक साल भी आपके प्यार की कहानी चल जाए तो वह किसी अजूबे से कम नहीं होगा। जहां पहले प्यार में टूटे दिल से कविता और शायरी निकलती थी वहीं अब प्यार में धोखा खाया दिल में बदले की भावना के बीज उपजते हैं और आए दिन हमें प्रेमी-प्रेमिका से जुड़ी घटनाओं वाले अपराधिक समाचार सुनने को मिलते हैं। बहरहाल, प्यार में पवित्रता बरकरार रखना कोर्ट का काम नहीं है बल्कि उन प्रेमी जोड़ाां का ही काम है जो जुड़ने से पहले जांच परख करने से कतराते हैं।
बॉलीवुड में नहीं होता बलात्कार
लिव - इन रिलेशनशिप में रहकर आसानी से बच निकलने में बॉलीवुड माहिर है। यहां न तो 'बलात्कार' और न ही 'शादी का झांसा' देने जैसे मामले आते हैं। बॉलीवुड में लिव इन रिलेशनशिप की बात हो तो सबसे पहले नाम कैटरीना कैफ और रणबीर कपूर का सामने आता है। रणबीर और कैट की जोड़ी लंबे समय तक लिव इन में रही। हाल ही में दोनों अलग हुए है। अब बात जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु की करते हैं। ये दोनों लंबे समय से साथ-साथ रह रहे हैं। जॉन-बिपाशा ने कभी भी अपने रिलेशनशिप को छुपाया भी नहीं लेकिन जब अलग होने जैसे हालात बने तो दोनों ही चुपके से निकल लिए। बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना भी टीना मुनीम संग लिव इन में रहे । राजेश खन्ना के अनीता आडवाणी संग भी लिव इन में रहने की खबरें आती रहीं। जीनत अमान और संजय खान भी एक दूसरे को परखने के लिए कुछ दिन लिव इन में रहे लेकिन मौका मिलते भी अलग भी हो लिए। लिव इन में रहने वालों में नीना गुप्ता का भी नाम आता है। वह वेस्टइंडीज के क्रिकेटर विव रिचडर्स के साथ रिलेशन में रहीं। वहीं क्रिकेटर विराट कोहली और अनुष्का शर्मा भी लिव इन में रहने की तैयारी में थे लेकिन अफसोस उससे पहले ही दोनों का ब्रेकअप हो गया। संजय दत्त शादी से पहले अपनी पत्नी मान्यता दत्त के साथ लिव इन में ही रहते थे। अर्चना पूरन सिंह और परमीत सेठी शादी से पहले कई साल तक एक दूसरे के साथ एक ही घर में रहते थे। अपने बोल्ड स्टेटमेंट्स और बिंदास लाइफस्टाइल के लिए पूर्व मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन भी कम मशहूर नहीं हैं। पहले तो एक बच्ची को गोद लेकर और अब अपने बॉयफ्रेंड रणदीप हुड्डा को लेकर। लेकिन इनका लिव इन ज्यादा दिन नहीं टिका और दोनों अलग हो गए। एक औरर ब्यूटीक्वीन और अभिनेत्री लारा दत्ता भी खुल्लम खुल्ला प्यार करने में यकीन रखती हैं। लारा का अपने बॉयफ्रेंड केली डॉर्जी के साथ कुछ ऐसा ही रिश्ता रहा ये अलग बात है कि वो भी अब साथ नहीं हैं। सत्या के भिखू म्हात्रे मनोज वाजपेयी और उनकी बीबी नेहा ने भी शादी से पहले कई साल साथ रहकर एक दूसरे को जांचा परखा। करीना कपूर और सैफ अली खान भी लिव इन को शादी के अंजाम तक पहुंचाने में कामयाब रहे।
टीवी स्टारों का लिव-इन रिलेशनशिप
फिल्मों में तो लिव इव रिलेशन्स की भरमार है लेकिन टीवी भी कही पीछे नहीं है। सबसे पहले बात टीवी क्वीन राखी सावंत की। अपने पुराने प्रेमी अभिषेक के साथ वो एक अरसे तक लिव इन रहीं। दोनों साथ रहते थे और उन्होंने इसका एलान भी कर रखा था। इसके बाद तो टीवी के एक रियालिटी शो में पांच जोड़ियां लिव इन रिलेशनशिप के तहत तीन महीने साथ थे। शादी के इरादे से यहां भी आईं राखी सावंत ने अपने मंगेतर इलेश परुजनवाला को छोड़ दिया उन्हें ये रिश्ता पसंद नहीं आया यानी दोबारा उनका लिव इन फेल हो गया। लेकिन इसी सीरियल की एक और जोड़ी गुरमीत-देबिना ने शादी करने का फैसला कर लिया। अपने छह साल पुराने रिश्ते को आखिरकार गुरमीत-देबिना ने मंजिल तक पहुंचाने का फैसला कर लिया है। ये जोड़ी रामायण और पति-पत्नी और वो में एक साथ नजर आ चुके हैं। वैसे टीवी की एक और हिट जोड़ी कश्मीरा शाह और कृष्णा भी अरसे से एक दूसरे के साथ रह रहे हैं। ऐसे ही कई नाम लिव इन रिलेशनशिप के लिए जाने-जाने जाते हैं।
यह है रेप की परिभाषा
भारतीय दंड संहित की धारा-375 में रेप को परिभाषित किया गया है। अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो वह रेप होगा। महिला के साथ किया गया यौनाचार या दुराचार दोनों ही रेप के दायरे में होगा। महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में अगर पुरुष अपना प्राइवेट पार्ट डालता है तो वह भी रेप के दायरे में होगा। महिला के प्राइवेट पार्ट में अगर पुरुष अपने शरीर का कोई भी हिस्सा या कोई भी ऑब्जेक्ट डालता है तो वह भी रेप ही माना जाएगा। महिला के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसके कपड़े उतारना या बिना उतारे ही उसे संबंध बनाने के लिए पोजिशन में लाया जाता तो वह भी रेप के दायरे में होगा।
नाबालिग की 'सहमति' भी सहमति नहीं
नाबालिग लड़की की सहमति को सहमति नहीं माना जाएगा। अगर कोई शख्स किसी महिला को डरा कर सहमति ली हो या उसके किसी नजदीकी को जान की धमकी देकर सहमति ली गई हो तो भी वह सहमति नहीं मानी जाएगी और ऐसा संबंध रेप होगा। महिला ने अगर यह समझते हुए सहमति दी है कि आरोपी उसका पति है या भविष्य में उसका पति बन जाएगा, जबकि आरोपी उसका पति नहीं है तो भी ऐसी सहमति से बनाया गया संबंध रेप होगा। यानी समाज के सामने शादी करने का वादा, घर या मंदिर में चुपचाप मांग में सिंदूर भर देना या वरमाला पहनाकर खुद को पति बताने का झांसा दे कर बनाया गया संबंध भी रेप के दायरे में होगा। जब महिला की सहमति ली गई, उस वक्त उसकी दिमागी हालात ठीक नहीं हो या फिर उसे बेहोश करके या नशे की हालत में सहमति ली गई हो या फिर उस हालत में संबंध बनाए गए हों तो वह सहमति भी सहमति नहीं मानी जाएगी।
उम्र का अहम रोल
रेप के केस में पीड़िता की उम्र को साबित करना केस को किसी भी मुकाम पर पहुंचाने के लिए बहुत जरूरी है। 10वीं के शैक्षणिक दस्तावेज में लिखी उम्र सबसे बड़ा सबूत है। अगर 10वीं का सर्टिफिकेट मौजूद नहीं है तो पढ़ाई की शुरुआत के वक्त स्कूल आदि में लिखाई गई उसकी उम्र का सर्टिफिकेट। वह भी न हो तो कॉर्पोरेशन व पंचायत आदि का सर्टिफिकेट मान्य होता है। इन तीनों के न होने पर बोन एज टेस्ट कराया जाता है। बोन एज टेस्ट से किसी लड़की की उम्र को सटीक नहीं आंका जा सकता। अगर लड़की की उम्र 16 साल बताई गई हो तब बोन एज टेस्ट से उसकी उम्र 14 से लेकर 18 साल तक आंकी जा सकती है। ऐसे में लड़की की उम्र को 18 साल माना जाता है और उसे बालिग करार दिया जा सकता है। कानून के मुताबिक जो लड़की बालिग है, वह शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दे सकती है और तब वह रेप नहीं माना जाएगा।
लड़की का बयान ही काफी
रेप और छेड़छाड़ के मामले में लड़की का बयान अहम सबूत है। अगर बयान पुख्ता है और उसमें कोई विरोधाभास नहीं है तो किसी दूसरे अहम सबूत की जरूरत नहीं है। ऐसे मामले में शिकायत के बाद पुलिस को अधिकार है कि वह आरोपी को गिरफ्तार कर ले। चाहे मामला रेप का हो या फिर छेड़छाड़ या सेक्शुअल असॉल्ट (महिला के शरीर के खास अंगों को छूना या छूने की कोशिश करना) का, दोनों ही सूरत में अपराध साबित करने का भार शिकायती पक्ष पर ही होता है। मामला रेप का हो छेड़छाड़ या सेक्शुअल असॉल्ट का, ये तमाम मामले महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराध हैं और ऐसे मामले संज्ञेय अपराध (जिसमें गिरफ्तार किया जा सके) के दायरे में आते हैं। संज्ञेय अपराध का मतलब है कि अगर पुलिस को इन अपराध के होने की कहीं से भी जानकारी मिले तो वह ऐसे मामले में एफआईआर दर्ज कर सकती है। शिकायती अगर सीधे थाने में शिकायत करे तो पुलिस इस शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर सकती है। आरोपी को ट्रायल के दौरान अपने बचाव का मौका दिया जाता है। इस दौरान वह अपने को बेगुनाह साबित करने के लिए गवाह और सबूत पेश कर सकता है।
फ्लैट सिस्टम से मिला बढ़ावा
‘लिव-इन’रिलेशनशिप का आधार खुलापन है। मेट्रो शहरों की फ्लैट व्यवस्था ने इस तरह के लाइफ स्टाइल को बढ़ावा दिया और यह सुविधा भी दी कि साथ रहने के लिए बस आपसी सहमति चाहिए। यह भी एक कारण है कि लिव इन में धोखाधड़ी के सिर्फ मुकदमे ही दर्ज नहीं होते, बल्कि हर मेट्रो और बड़े शहरों में इसकी शिकायतें आम होती जा रही हैं। कुछ समय पहले ऑरमैक्स मीडिया नामक संस्था ने भारत के 40 शहरों में 5000 युवाओं को लेकर एक अध्ययन किया। जिसमें 72 फीसदी युवाओं का मानना था कि लिव-इन-रिलेशन असफल रहते हैं। हालांकि विवाह की जटिलताओं से बचने के लिए अब लिव इन को अपनाया जा रहा है। नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरू ही वह शहर है, जहां ‘लिव इन’ रिलेशनशिप में सर्वाधिक फ्रॉड के मामले सामने आए। देश में सबसे ज्यादा लिव-इन जोड़े बैंगलोर में ही रहते हैं।
'लिव इन' पर सुप्रीम कोर्ट के विचार
कुछ समय पहले एक अपील की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशनशिप पर जो टिप्पणी की उससे हमारे समाज में इस मसले पर चल रही बहस एक नए दौर में पहुंच गई है। कोर्ट ने कहा कि अगर दो वयस्क व्यक्ति आपसी रजामंदी से शादी के बगैर साथ रहते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है। यह अपराध नहीं है। साथ रहना जीवन का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के अनुसार, शादी के पहले सेक्स संबंध कायम करना कोई अपराध नहीं है। देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो शादी से पहले सेक्स संबंध की मनाही करता हो। इससे पहले जनवरी 2008 में भी कोर्ट ने लंबी अवधि के लिव-इन रिश्ते को शादी के बराबर मानने का फैसला दिया था। कोर्ट के मुताबिक अगर बिना शादी किए कोई जोड़ा एक साथ पति-पत्नी की तरह रहा है तो दोनों कानूनी रूप से शादीशुदा माने जाएंगे। कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान अगर पुरुष साथी की मौत हो जाती है तो उसकी संपत्ति पर महिला साथी का कानूनन अधिकार होगा और वह उसकी वारिस मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमवाई इकबाल और जस्टिस अमिताव रॉय की बेंच ने यह आदेश सुनाते हुए कहा कि लगातार शारीरिक संबंध बनाने वाले कपल को विवाहित ही माना जाएगा। इस तरह के मामले में दूसरे पक्ष को यह साबित करना होगा कि वे (कपल) कानूनी रूप से शादीशुदा नहीं हैं।
एक प्यार ऐसा भी
वेलेंटाइन डे से पहले थाईलैंड में युवाओं को कंडोम के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कैंपेन चल रहा है। ये पहला मौका होगा, जब इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे पहले युवाओं को मंदिर जाने और डेट के बाद सीधे घर जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता रहा है। थाईलैंड दुनिया के सर्वाधिक किशोरों की प्रेगनेंसी वाले देशों में एक है। यहां यौन संक्रमण के मामले भी बढ़ रहे हैं। इस नई मुहिम को 2019 तक चलाया जाएगा और इसका लक्ष्य युवाओं में बढ़ते गर्भधारण के मुद्दे पर चर्चा करना है। हाल के वर्षों में थाईलैंड के अधिकारी युवाओं को सेक्स से बचने और कंडोम के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं पर इस साल कंडोम के इस्तेमाल से जुड़े कलंक को कम करने की कोशिश की जा रही है। थाईलैंड में एक हजार लड़कियों में से 50 लड़कियां 15 से 19 साल की उम्र में मां बन जाती हैं। यहां 10 से 19 साल के युवाओं में यौन संबंधी रोग पांच गुना तक बढ़ गए हैं। थाईलैंड में करीब चार लाख 50 हजार लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं।
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इंटरव्यू
जहां एक तरफ लिव इन रिलेशन को लेकर तरह तरह की बातें हो रही हैं। वहीं लेखिका और विचारक शीबा असलम फाहमी का मानना है कि यहां भी पुरुषों का ही वर्चस्व चलता है। पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश -
सवाल - वर्तमान में लिव इन स्वार्थ और धोखे का रिलेशनशिप है क्या ?
जवाब - बिल्कुल नहीं। अब भी प्यार करने वाले एक साथ लंबे समय से रिलेशन चला रह हैं। लेकिन आपको क्यों ऐसा लगता है कि इसमें स्वार्थ और धोखा हावी है।
दरअसल, यह सवाल हॉकी कप्तान सरदार सिंह के केस के बाद कहीं ज्यादा मौजूं हो चला है।
देखिए, किसी एक केस के बारे में कमेंट करना गलत होगा लेकिन अगर बेबुनियाद मुकदमें जब अदालत के सामने आते हैं तो धाराशायी भी होते हैं। हमारे देश की अदालतें अपने विवेक का इस्तेमाल कर दूध का दूध और पानी का पानी कर देती हैं। आंकड़े उठा कर देख लीजिए। ऐसे कई मामलों में लड़कियों को भी कोर्ट ने लताड़ लगाई है। लेकिन मेरा सिर्फ इतना कहना है कि यह कौन तय करेगा कि एक लड़की के साथ कब रेप हो सकता है और कब नहीं।
तो क्या अब रेप की नई परिभाषा लिखे जाने की जरूरत है ?
मेरा बस यह कहना है कि इस पर विचार हो। लड़की भले ही शादी शुदा हो या फिर दस - पंद्रह साल से रिलेशनशिप में हो लेकिन उससे अपनी कुंठा शांत करने के लिए पुरुष जबरदस्ती यौन संबंध बनाता है तो उसे रेप की श्रेणी में रखे जाने की जरूरत है। यह स्त्री के खिलाफ है। हमारे यहां शादी के अंदर रेप का कोई मजबूत कानून भी नहीं है और न ही कोई महिला आगे आने की हिम्मत दिखाती है।
तो आपके कहने का मतलब यह है कि लिव इन में भी लड़की से उसका पार्टनर रेप कर सकता है?
हां , क्यों नहीं। सच कहूं तो यह पूरी तरह से पुरुष समाज के लिए मस्ती करने का जरिया बन गया है। इसमें पुरुष को सिर्फ अधिकार हैं लेकिन कर्तव्य का पता नहीं। इस पुरुषवादी सोच को तोड़ने की जरूरत है। इसमें महिलाओं पर दबाव ज्यादा आता है। मसलन, अगर लिव इन में बच्चा होता है तो सारी जिम्मेदारी औरत ही उठाती है। बाद में बच्चे को भी समाज में जिल्लतें झेलनी पड़ती हैं।
लेकिन लड़की का अपना विवेक भी तो काम करता है।
बिल्कुल, उसका विवेक काम करता है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि अगर एक बार लड़की किसी के साथ कमिटेड हो गई तो उसकी गुलाम हो गई। मैं यह भी कहना चाहूंगी कि लड़कियों को भी समझ कर फैसले लेने की जरूरत है।
लिव इन का ट्रेंड कैसे बढ़ा?
दरअसल, परिवारों की आंतरिक जकड़न की वजह से यह ट्रेंड बढ़ा है। अगर एक लड़का या लड़की प्यार करते हैं तो उसमें परिवार वाले जाति, धर्म और पता नहीं क्या , क्या तलाश लेते हैं। बच्चे जिंदगी के सारे फैसले ले सकते हैं तो शादी का फैसला परिवार को क्यों लेने दें ? परिवारों में विवाह को लेकर जो विवाद है उससे बचने के लिए बच्चे गांव शहर से दूर रह कर लिव इन में रहते हैं। लिव इन उसी जकड़न का जवाब है। हमने डॉक्टर, इंजीनियर तो बना दिया लेकिन शादी का मामूली फैसला हम खुद करते हैं, जो यह गलत है। साथ ही लिव इन में रह रहे पुरुषों की यह जिम्मेदारी है कि वह महिलाओं से सम्मानित व्यवहार करें।
तो लिव इन में महिलाएं उपभोक्ता की तरह इस्तेमाल हो रही हैं?
शायद हां, लेकिन उसे आप उपभोक्ता की तरह नहीं इस्तेमाल कर सकते हैं। यह चीरहरण जैसा मामला है। अगर अभिनेत्री प्रीति जिंटा कई सालों के रिलेशनशिप में रहने के बाद नेस वाडिया पर केस करती हैं तो इसे हल्के में नहीं ले सकते हैं। संभवतः वाडिया ने उन्हें उपभोक्ता की तरह ही इस्तेमाल करने की कोशिश की। आप पत्नी, प्रेमिका, बहन या मां किसी के साथ भी ऐसा नहीं कर सकते । भले ही रिश्ते में बहुत गहराई हो। मसलन, इसका उदाहरण है ट्विंकल खन्ना और अक्षय कुमार । अक्षय ने उपभोक्ता की तरह अपनी पत्नी ट्विंकल से रैंप शो के दौरान पैंट की बटन खुलवाई। तब उन पर मुकदमा भी हुआ।
साल 2014 के सितंबर का महीना था। भारतीय हॉकी टीम एशिया कप में गोल्ड मेडल जीतकर स्वेदश लौटी थी। दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर टीम का भव्य स्वागत हुआ। इसी दौरान गले में मेडल पहने कप्तान सरदार सिंह संग एयरपोर्ट पर एक अनजान सी लड़की मुस्कुराते हुए दिखी। संभवतः देश ने इसी दिन पहली बार उस लड़की को सरदार सिंह की प्रेमिका और मंगेतर के रूप में देखा। इस रिश्ते को इन दोनों की समय - समय पर आई रोमांटिक तस्वीरों और सरदार के बयानों से मुहर लगी लेकिन पिछले कुछ समय से हम मीडिया में उन खुशनुमा तस्वीरों के साथ ही इस प्रकरण का कड़वा क्लाइमेक्स भी देख रहे हैं। दरअसल, सरदार पर उसी लड़की ने बलात्कार से लेकर जबरन गर्भपात कराने तक के आरोप लगा दिए हैं। अब सरदार लगातार सफाई देने में जुट गए हैं कि वह मंगेतर नहीं दोस्त है। बहरहाल, सच क्या है यह जांच का विषय है लेकिन क्या इसे बलात्कार की संज्ञा दी जा सकती है? क्या लगभग तीन साल तक बतौर प्रेमी- प्रेमिका एक साथ रहने के बाद कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका का बलात्कार कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अगर दो वयस्क व्यक्ति आपसी रजामंदी से शादी के बगैर साथ रहते हैं और संबंध बनाते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है। यह अपराध नहीं है। साथ रहना जीवन का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के अनुसार, देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो शादी से पहले सेक्स संबंध की मनाही करता हो। कोर्ट के मुताबिक अगर बिना शादी किए कोई जोड़ा एक साथ पति-पत्नी की तरह रहा है तो दोनों कानूनी रूप से शादीशुदा माने जाएंगे। लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिससे कोर्ट भी परेशान है। वैसे तो दो लोगों के बीच के प्रेम प्रसंग में निश्चित रूप से कोर्ट की दिलचस्पी नहीं रही है लेकिन न्यायाधीश ऐसे मामलों में असमंजस में रहते हैं। 27 जून, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों, न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और एस.के. सिंह ने एक सुनवाई के दौरान कहा था, ' इट इज नॉट क्यूपिड बट स्टुपिड' यानी यह प्रेम नहीं बेवकूफी है। न्यायाधीश ऐसे केस की सुनवाई कर रहे थे जिसमें एक पूर्व एअर होस्टेस और एक बैंकर तीन साल तक प्रेम और लिव इन रिलेशन में रहने के बाद अदालत में बलात्कारी और बलात्कार पीड़ित के रूप में आमने-सामने थे। लड़की का कहना था कि शादी के वादे के बिना वह यौन संबंध कभी नहीं बनाती। वहीं बैंकर का जवाब था कि लड़की अच्छी तरह से जानती थी कि मैं पहले से शादीशुदा हूं। न्यायाधीशों ने उन दोनों को एक-दूसरे की अश्लील तस्वीरें खींचकर अदालत में दिखाने के लिए फटकार लगाई। कोर्ट की टिप्प्णी थी कि आगे ऐसे और भी मामले हमारे सामने आ सकते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए भी। इसी में एक मामला बॉलीवुड अभिनेत्री प्रिटी जिंटा से भी जुड़ा। पिछले साल आईपीएल टीम किंग्स इलेवन पंजाब की को-ओनर प्रीति जिंटा ने टीम के अन्य को-ओनर नेस वाडिया पर उनसे बदसलूकी और गलत व्यवहार का आरोप लगाया। इस बारे में बकायदा पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई गई। यहां यह बताना जरूरी है कि नेस और प्रिटी के बीच करीब दस साल से एक 'खास' रिश्ता था। इस रिश्ते को लेकर दोनों बेहद गंभीर भी थे लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि वाडिया कानून की नजर में 'छिछोरे' बन गए। तो यहीं से यह सवाल मौजूं हो जाता है कि क्या इस दौर में प्यार की परिभाषा बदल गई है या फिर इसका नाम "अहंकार', "बदले की भावना', "ब्लैकमेलिंग' और 'पैसे वाला लव' हो चला है। कुछ साल पहले की ही बात है दिल्ली में नौकरी मिलने के बाद साथ काम करने वाले एक लड़के और लड़की ने साथ रहने का फैसला किया। लगभग तीन साल तक साथ रहने के बाद लड़का अचानक गायब हो गया और उसने अपना फोन भी स्विच ऑफ कर लिया। लड़की ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई कि न केवल लड़के ने शादी का वादा करके उससे साथ शारीरिक संबंध बनाए बल्कि पैसे भी उधार लिए। उसने पुलिस में इस बात की भी शिकायत की कि लड़के की बहन और उसकी मां ने भी फ्लैट में आकर उसके साथ मारपीट की। रिपोर्ट के आधार पर लड़का, उसकी मां और बहन को गिरफ्तार कर लिया गया। जब मामला कोर्ट में पहुंचा तो लड़की पुलिस में की गई शिकायत के अनुसार बयान देने के लिए सामने नहीं आई और न ही उसने अपने साथ बने शारीरिक संबंध या मारपीट के बारे में सबूत पेश किए। कोर्ट ने लड़की की रिपोर्ट को प्रेमी को वापस पाने और मोटी रकम लेने की एक कोशिश भर करार दिया और सभी को बरी कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने पुलिस को भी कड़ी फटकार भी लगाई। ऐसा ही एक प्रकरण साल 2003 में आया था। जब लिव इन में रह रही एक युवती ने शादी का झांसा देकर करीब छह साल पुराने प्रेमी पर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया। शीर्ष अदालत ने शख्स को बरी कर दिया क्योंकि अदालत का मानना था कि 'जब दो लोग प्रेम और रोमांस में डूबे हों तो शादी का वादा बहुत मायने नहीं रखता।' दरअसल, वर्तमान में प्यार भी भोग विलास की चीज हो चली है। वर्तमान में युवा लगातार प्यार की परिभाषा को अपने हिसाब से गढ़ रहे हैं। तभी तो प्यार के दिन के लिए जिस वेलेंटाइन डे को जाना जाता था वह अब प्यार से ज्यादा महंगे गिफ्ट्स के आदान प्रदान के लिए जाना जाने लगा है यानी की रिश्तों में प्यार से ज्यादा दिखावट और मार्केट ने अपनी जगह बना ली है। अब प्रेमिकाओं को प्रेमी का सिर्फ साथ नहीं बल्कि साथ के साथ साथ महंगे रेस्तरां में लंच और महंगे गिफ्ट्स चाहिए होते हैं वही दूसरी और प्रेमी को प्रेमिका की प्यार भरी बातें ही नहीं बल्कि बातों के साथ कुछ खास लम्हें भी चाहिए। अब तो एक साल भी आपके प्यार की कहानी चल जाए तो वह किसी अजूबे से कम नहीं होगा। जहां पहले प्यार में टूटे दिल से कविता और शायरी निकलती थी वहीं अब प्यार में धोखा खाया दिल में बदले की भावना के बीज उपजते हैं और आए दिन हमें प्रेमी-प्रेमिका से जुड़ी घटनाओं वाले अपराधिक समाचार सुनने को मिलते हैं। बहरहाल, प्यार में पवित्रता बरकरार रखना कोर्ट का काम नहीं है बल्कि उन प्रेमी जोड़ाां का ही काम है जो जुड़ने से पहले जांच परख करने से कतराते हैं।
बॉलीवुड में नहीं होता बलात्कार
लिव - इन रिलेशनशिप में रहकर आसानी से बच निकलने में बॉलीवुड माहिर है। यहां न तो 'बलात्कार' और न ही 'शादी का झांसा' देने जैसे मामले आते हैं। बॉलीवुड में लिव इन रिलेशनशिप की बात हो तो सबसे पहले नाम कैटरीना कैफ और रणबीर कपूर का सामने आता है। रणबीर और कैट की जोड़ी लंबे समय तक लिव इन में रही। हाल ही में दोनों अलग हुए है। अब बात जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु की करते हैं। ये दोनों लंबे समय से साथ-साथ रह रहे हैं। जॉन-बिपाशा ने कभी भी अपने रिलेशनशिप को छुपाया भी नहीं लेकिन जब अलग होने जैसे हालात बने तो दोनों ही चुपके से निकल लिए। बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना भी टीना मुनीम संग लिव इन में रहे । राजेश खन्ना के अनीता आडवाणी संग भी लिव इन में रहने की खबरें आती रहीं। जीनत अमान और संजय खान भी एक दूसरे को परखने के लिए कुछ दिन लिव इन में रहे लेकिन मौका मिलते भी अलग भी हो लिए। लिव इन में रहने वालों में नीना गुप्ता का भी नाम आता है। वह वेस्टइंडीज के क्रिकेटर विव रिचडर्स के साथ रिलेशन में रहीं। वहीं क्रिकेटर विराट कोहली और अनुष्का शर्मा भी लिव इन में रहने की तैयारी में थे लेकिन अफसोस उससे पहले ही दोनों का ब्रेकअप हो गया। संजय दत्त शादी से पहले अपनी पत्नी मान्यता दत्त के साथ लिव इन में ही रहते थे। अर्चना पूरन सिंह और परमीत सेठी शादी से पहले कई साल तक एक दूसरे के साथ एक ही घर में रहते थे। अपने बोल्ड स्टेटमेंट्स और बिंदास लाइफस्टाइल के लिए पूर्व मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन भी कम मशहूर नहीं हैं। पहले तो एक बच्ची को गोद लेकर और अब अपने बॉयफ्रेंड रणदीप हुड्डा को लेकर। लेकिन इनका लिव इन ज्यादा दिन नहीं टिका और दोनों अलग हो गए। एक औरर ब्यूटीक्वीन और अभिनेत्री लारा दत्ता भी खुल्लम खुल्ला प्यार करने में यकीन रखती हैं। लारा का अपने बॉयफ्रेंड केली डॉर्जी के साथ कुछ ऐसा ही रिश्ता रहा ये अलग बात है कि वो भी अब साथ नहीं हैं। सत्या के भिखू म्हात्रे मनोज वाजपेयी और उनकी बीबी नेहा ने भी शादी से पहले कई साल साथ रहकर एक दूसरे को जांचा परखा। करीना कपूर और सैफ अली खान भी लिव इन को शादी के अंजाम तक पहुंचाने में कामयाब रहे।
टीवी स्टारों का लिव-इन रिलेशनशिप
फिल्मों में तो लिव इव रिलेशन्स की भरमार है लेकिन टीवी भी कही पीछे नहीं है। सबसे पहले बात टीवी क्वीन राखी सावंत की। अपने पुराने प्रेमी अभिषेक के साथ वो एक अरसे तक लिव इन रहीं। दोनों साथ रहते थे और उन्होंने इसका एलान भी कर रखा था। इसके बाद तो टीवी के एक रियालिटी शो में पांच जोड़ियां लिव इन रिलेशनशिप के तहत तीन महीने साथ थे। शादी के इरादे से यहां भी आईं राखी सावंत ने अपने मंगेतर इलेश परुजनवाला को छोड़ दिया उन्हें ये रिश्ता पसंद नहीं आया यानी दोबारा उनका लिव इन फेल हो गया। लेकिन इसी सीरियल की एक और जोड़ी गुरमीत-देबिना ने शादी करने का फैसला कर लिया। अपने छह साल पुराने रिश्ते को आखिरकार गुरमीत-देबिना ने मंजिल तक पहुंचाने का फैसला कर लिया है। ये जोड़ी रामायण और पति-पत्नी और वो में एक साथ नजर आ चुके हैं। वैसे टीवी की एक और हिट जोड़ी कश्मीरा शाह और कृष्णा भी अरसे से एक दूसरे के साथ रह रहे हैं। ऐसे ही कई नाम लिव इन रिलेशनशिप के लिए जाने-जाने जाते हैं।
यह है रेप की परिभाषा
भारतीय दंड संहित की धारा-375 में रेप को परिभाषित किया गया है। अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो वह रेप होगा। महिला के साथ किया गया यौनाचार या दुराचार दोनों ही रेप के दायरे में होगा। महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में अगर पुरुष अपना प्राइवेट पार्ट डालता है तो वह भी रेप के दायरे में होगा। महिला के प्राइवेट पार्ट में अगर पुरुष अपने शरीर का कोई भी हिस्सा या कोई भी ऑब्जेक्ट डालता है तो वह भी रेप ही माना जाएगा। महिला के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसके कपड़े उतारना या बिना उतारे ही उसे संबंध बनाने के लिए पोजिशन में लाया जाता तो वह भी रेप के दायरे में होगा।
नाबालिग की 'सहमति' भी सहमति नहीं
नाबालिग लड़की की सहमति को सहमति नहीं माना जाएगा। अगर कोई शख्स किसी महिला को डरा कर सहमति ली हो या उसके किसी नजदीकी को जान की धमकी देकर सहमति ली गई हो तो भी वह सहमति नहीं मानी जाएगी और ऐसा संबंध रेप होगा। महिला ने अगर यह समझते हुए सहमति दी है कि आरोपी उसका पति है या भविष्य में उसका पति बन जाएगा, जबकि आरोपी उसका पति नहीं है तो भी ऐसी सहमति से बनाया गया संबंध रेप होगा। यानी समाज के सामने शादी करने का वादा, घर या मंदिर में चुपचाप मांग में सिंदूर भर देना या वरमाला पहनाकर खुद को पति बताने का झांसा दे कर बनाया गया संबंध भी रेप के दायरे में होगा। जब महिला की सहमति ली गई, उस वक्त उसकी दिमागी हालात ठीक नहीं हो या फिर उसे बेहोश करके या नशे की हालत में सहमति ली गई हो या फिर उस हालत में संबंध बनाए गए हों तो वह सहमति भी सहमति नहीं मानी जाएगी।
उम्र का अहम रोल
रेप के केस में पीड़िता की उम्र को साबित करना केस को किसी भी मुकाम पर पहुंचाने के लिए बहुत जरूरी है। 10वीं के शैक्षणिक दस्तावेज में लिखी उम्र सबसे बड़ा सबूत है। अगर 10वीं का सर्टिफिकेट मौजूद नहीं है तो पढ़ाई की शुरुआत के वक्त स्कूल आदि में लिखाई गई उसकी उम्र का सर्टिफिकेट। वह भी न हो तो कॉर्पोरेशन व पंचायत आदि का सर्टिफिकेट मान्य होता है। इन तीनों के न होने पर बोन एज टेस्ट कराया जाता है। बोन एज टेस्ट से किसी लड़की की उम्र को सटीक नहीं आंका जा सकता। अगर लड़की की उम्र 16 साल बताई गई हो तब बोन एज टेस्ट से उसकी उम्र 14 से लेकर 18 साल तक आंकी जा सकती है। ऐसे में लड़की की उम्र को 18 साल माना जाता है और उसे बालिग करार दिया जा सकता है। कानून के मुताबिक जो लड़की बालिग है, वह शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दे सकती है और तब वह रेप नहीं माना जाएगा।
लड़की का बयान ही काफी
रेप और छेड़छाड़ के मामले में लड़की का बयान अहम सबूत है। अगर बयान पुख्ता है और उसमें कोई विरोधाभास नहीं है तो किसी दूसरे अहम सबूत की जरूरत नहीं है। ऐसे मामले में शिकायत के बाद पुलिस को अधिकार है कि वह आरोपी को गिरफ्तार कर ले। चाहे मामला रेप का हो या फिर छेड़छाड़ या सेक्शुअल असॉल्ट (महिला के शरीर के खास अंगों को छूना या छूने की कोशिश करना) का, दोनों ही सूरत में अपराध साबित करने का भार शिकायती पक्ष पर ही होता है। मामला रेप का हो छेड़छाड़ या सेक्शुअल असॉल्ट का, ये तमाम मामले महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराध हैं और ऐसे मामले संज्ञेय अपराध (जिसमें गिरफ्तार किया जा सके) के दायरे में आते हैं। संज्ञेय अपराध का मतलब है कि अगर पुलिस को इन अपराध के होने की कहीं से भी जानकारी मिले तो वह ऐसे मामले में एफआईआर दर्ज कर सकती है। शिकायती अगर सीधे थाने में शिकायत करे तो पुलिस इस शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर सकती है। आरोपी को ट्रायल के दौरान अपने बचाव का मौका दिया जाता है। इस दौरान वह अपने को बेगुनाह साबित करने के लिए गवाह और सबूत पेश कर सकता है।
फ्लैट सिस्टम से मिला बढ़ावा
‘लिव-इन’रिलेशनशिप का आधार खुलापन है। मेट्रो शहरों की फ्लैट व्यवस्था ने इस तरह के लाइफ स्टाइल को बढ़ावा दिया और यह सुविधा भी दी कि साथ रहने के लिए बस आपसी सहमति चाहिए। यह भी एक कारण है कि लिव इन में धोखाधड़ी के सिर्फ मुकदमे ही दर्ज नहीं होते, बल्कि हर मेट्रो और बड़े शहरों में इसकी शिकायतें आम होती जा रही हैं। कुछ समय पहले ऑरमैक्स मीडिया नामक संस्था ने भारत के 40 शहरों में 5000 युवाओं को लेकर एक अध्ययन किया। जिसमें 72 फीसदी युवाओं का मानना था कि लिव-इन-रिलेशन असफल रहते हैं। हालांकि विवाह की जटिलताओं से बचने के लिए अब लिव इन को अपनाया जा रहा है। नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरू ही वह शहर है, जहां ‘लिव इन’ रिलेशनशिप में सर्वाधिक फ्रॉड के मामले सामने आए। देश में सबसे ज्यादा लिव-इन जोड़े बैंगलोर में ही रहते हैं।
'लिव इन' पर सुप्रीम कोर्ट के विचार
कुछ समय पहले एक अपील की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशनशिप पर जो टिप्पणी की उससे हमारे समाज में इस मसले पर चल रही बहस एक नए दौर में पहुंच गई है। कोर्ट ने कहा कि अगर दो वयस्क व्यक्ति आपसी रजामंदी से शादी के बगैर साथ रहते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है। यह अपराध नहीं है। साथ रहना जीवन का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के अनुसार, शादी के पहले सेक्स संबंध कायम करना कोई अपराध नहीं है। देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो शादी से पहले सेक्स संबंध की मनाही करता हो। इससे पहले जनवरी 2008 में भी कोर्ट ने लंबी अवधि के लिव-इन रिश्ते को शादी के बराबर मानने का फैसला दिया था। कोर्ट के मुताबिक अगर बिना शादी किए कोई जोड़ा एक साथ पति-पत्नी की तरह रहा है तो दोनों कानूनी रूप से शादीशुदा माने जाएंगे। कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान अगर पुरुष साथी की मौत हो जाती है तो उसकी संपत्ति पर महिला साथी का कानूनन अधिकार होगा और वह उसकी वारिस मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमवाई इकबाल और जस्टिस अमिताव रॉय की बेंच ने यह आदेश सुनाते हुए कहा कि लगातार शारीरिक संबंध बनाने वाले कपल को विवाहित ही माना जाएगा। इस तरह के मामले में दूसरे पक्ष को यह साबित करना होगा कि वे (कपल) कानूनी रूप से शादीशुदा नहीं हैं।
एक प्यार ऐसा भी
वेलेंटाइन डे से पहले थाईलैंड में युवाओं को कंडोम के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कैंपेन चल रहा है। ये पहला मौका होगा, जब इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे पहले युवाओं को मंदिर जाने और डेट के बाद सीधे घर जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता रहा है। थाईलैंड दुनिया के सर्वाधिक किशोरों की प्रेगनेंसी वाले देशों में एक है। यहां यौन संक्रमण के मामले भी बढ़ रहे हैं। इस नई मुहिम को 2019 तक चलाया जाएगा और इसका लक्ष्य युवाओं में बढ़ते गर्भधारण के मुद्दे पर चर्चा करना है। हाल के वर्षों में थाईलैंड के अधिकारी युवाओं को सेक्स से बचने और कंडोम के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं पर इस साल कंडोम के इस्तेमाल से जुड़े कलंक को कम करने की कोशिश की जा रही है। थाईलैंड में एक हजार लड़कियों में से 50 लड़कियां 15 से 19 साल की उम्र में मां बन जाती हैं। यहां 10 से 19 साल के युवाओं में यौन संबंधी रोग पांच गुना तक बढ़ गए हैं। थाईलैंड में करीब चार लाख 50 हजार लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं।
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इंटरव्यू
जहां एक तरफ लिव इन रिलेशन को लेकर तरह तरह की बातें हो रही हैं। वहीं लेखिका और विचारक शीबा असलम फाहमी का मानना है कि यहां भी पुरुषों का ही वर्चस्व चलता है। पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश -
सवाल - वर्तमान में लिव इन स्वार्थ और धोखे का रिलेशनशिप है क्या ?
जवाब - बिल्कुल नहीं। अब भी प्यार करने वाले एक साथ लंबे समय से रिलेशन चला रह हैं। लेकिन आपको क्यों ऐसा लगता है कि इसमें स्वार्थ और धोखा हावी है।
दरअसल, यह सवाल हॉकी कप्तान सरदार सिंह के केस के बाद कहीं ज्यादा मौजूं हो चला है।
देखिए, किसी एक केस के बारे में कमेंट करना गलत होगा लेकिन अगर बेबुनियाद मुकदमें जब अदालत के सामने आते हैं तो धाराशायी भी होते हैं। हमारे देश की अदालतें अपने विवेक का इस्तेमाल कर दूध का दूध और पानी का पानी कर देती हैं। आंकड़े उठा कर देख लीजिए। ऐसे कई मामलों में लड़कियों को भी कोर्ट ने लताड़ लगाई है। लेकिन मेरा सिर्फ इतना कहना है कि यह कौन तय करेगा कि एक लड़की के साथ कब रेप हो सकता है और कब नहीं।
तो क्या अब रेप की नई परिभाषा लिखे जाने की जरूरत है ?
मेरा बस यह कहना है कि इस पर विचार हो। लड़की भले ही शादी शुदा हो या फिर दस - पंद्रह साल से रिलेशनशिप में हो लेकिन उससे अपनी कुंठा शांत करने के लिए पुरुष जबरदस्ती यौन संबंध बनाता है तो उसे रेप की श्रेणी में रखे जाने की जरूरत है। यह स्त्री के खिलाफ है। हमारे यहां शादी के अंदर रेप का कोई मजबूत कानून भी नहीं है और न ही कोई महिला आगे आने की हिम्मत दिखाती है।
तो आपके कहने का मतलब यह है कि लिव इन में भी लड़की से उसका पार्टनर रेप कर सकता है?
हां , क्यों नहीं। सच कहूं तो यह पूरी तरह से पुरुष समाज के लिए मस्ती करने का जरिया बन गया है। इसमें पुरुष को सिर्फ अधिकार हैं लेकिन कर्तव्य का पता नहीं। इस पुरुषवादी सोच को तोड़ने की जरूरत है। इसमें महिलाओं पर दबाव ज्यादा आता है। मसलन, अगर लिव इन में बच्चा होता है तो सारी जिम्मेदारी औरत ही उठाती है। बाद में बच्चे को भी समाज में जिल्लतें झेलनी पड़ती हैं।
लेकिन लड़की का अपना विवेक भी तो काम करता है।
बिल्कुल, उसका विवेक काम करता है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि अगर एक बार लड़की किसी के साथ कमिटेड हो गई तो उसकी गुलाम हो गई। मैं यह भी कहना चाहूंगी कि लड़कियों को भी समझ कर फैसले लेने की जरूरत है।
लिव इन का ट्रेंड कैसे बढ़ा?
दरअसल, परिवारों की आंतरिक जकड़न की वजह से यह ट्रेंड बढ़ा है। अगर एक लड़का या लड़की प्यार करते हैं तो उसमें परिवार वाले जाति, धर्म और पता नहीं क्या , क्या तलाश लेते हैं। बच्चे जिंदगी के सारे फैसले ले सकते हैं तो शादी का फैसला परिवार को क्यों लेने दें ? परिवारों में विवाह को लेकर जो विवाद है उससे बचने के लिए बच्चे गांव शहर से दूर रह कर लिव इन में रहते हैं। लिव इन उसी जकड़न का जवाब है। हमने डॉक्टर, इंजीनियर तो बना दिया लेकिन शादी का मामूली फैसला हम खुद करते हैं, जो यह गलत है। साथ ही लिव इन में रह रहे पुरुषों की यह जिम्मेदारी है कि वह महिलाओं से सम्मानित व्यवहार करें।
तो लिव इन में महिलाएं उपभोक्ता की तरह इस्तेमाल हो रही हैं?
शायद हां, लेकिन उसे आप उपभोक्ता की तरह नहीं इस्तेमाल कर सकते हैं। यह चीरहरण जैसा मामला है। अगर अभिनेत्री प्रीति जिंटा कई सालों के रिलेशनशिप में रहने के बाद नेस वाडिया पर केस करती हैं तो इसे हल्के में नहीं ले सकते हैं। संभवतः वाडिया ने उन्हें उपभोक्ता की तरह ही इस्तेमाल करने की कोशिश की। आप पत्नी, प्रेमिका, बहन या मां किसी के साथ भी ऐसा नहीं कर सकते । भले ही रिश्ते में बहुत गहराई हो। मसलन, इसका उदाहरण है ट्विंकल खन्ना और अक्षय कुमार । अक्षय ने उपभोक्ता की तरह अपनी पत्नी ट्विंकल से रैंप शो के दौरान पैंट की बटन खुलवाई। तब उन पर मुकदमा भी हुआ।
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