Friday 25 November 2016

नोट की कीमत तुम क्या जानो...

एटीएम से जब कड़क नोट बाहर आते हैं तो ये बहुत अच्छा लगता है लेकिन क्या कभी सोचा है कि नोट छापने में कितना पैसा लगता है? आखिर आरबीआई और सरकार मिलकर कितना खर्च करते हैं? आइए हम समझाते हैं आपको यह गणित - 

किस नोट की छपाई में कितना पैसा?
05 रुपये का नोट छापने में 50 पैसा खर्च होता है
10  रुपये के लिए 0.96  पैसे की लागत आती है
50 का नोट छापने में 1 .81 रुपये का खर्च है
100  का नोट छापने में 1.79  रुपये की लागत आती है
500 और1000 रुपये के नोट (जो बंद हो चुके हैं) छापने में 3.58 और 4.06 रुपये का खर्च आता था।
10 के सिक्के की छपाई में 6.10 रुपये खर्च होते हैं।
2016 जून तक रिजर्व बैंक ने 2120 करोड़ करेंसी नोट छपे हैं, जिसके लिए करीब 3421 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
पेपर छापने वाला सिर्फ एक कारखाना
देश में नोट के पेपर छापने वाला एकमात्र कारखाना मध्यप्रदेश के होशांगाबाद में स्थित 'सिक्योरिटी पेपर मिल' है। इसकी स्थापना 1968 में हुई थी और यह सिर्फ 2.8 मैट्रिक टन पेपर बना सकता है। बाकी के पेपर जर्मनी, जापान और ब्रिटेन से मंगवाए जाते रहे हैं। 2015 में होशांगाबाद में एक नया यूनिट खोला गया और मैसूर सिक्योरिटी प्रेस के पास एक नए करंसी पेपर बनाने वाले प्लांट का काम शुरू किया गया। मैसूर वाली फैक्ट्री करीब 12,000 मैट्रिक टन नोट के लिए इस्तेमाल होने वाला कागज बना पाएगा।

नोट छापने वाली पहली फैक्ट्री नासिक में
देश का पहली नोट छापने वाली फैक्ट्री नासिक में 1926 में स्थापित की गई थी और वह 1928 से नोट छाप रही है। इसके बाद 1975 में देवास, मध्य प्रदेश में दूसरी, 1999 में मैसूर में तीसरी और 2000 में सालबोनी, पश्चिम बंगाल में चौथी नोट छापने वाली प्रेस की स्थापना की गई।  हालांकि जो नए 2000 और 500 के नोट आ रहे हैं उनमें से कुछ देश में बने हुऐ हैं।

यह भी जान लीजिए 
-  जिस कागज पर छपाई होती है उसका बेहद छोटा सा हिस्सा ही देश में बनता है।
- होशंगाबाद एसपीएम में सिर्फ पांच फीसदी करेंसी पेपर की छपाई ही होती है
- ज्यादातर कागज और स्याही जर्मनी की जीएस्की एंड डेवरेंट या ब्रिटेन की दे ला रू कंपनी से मंगवाया जाता है।

Friday 11 November 2016

सुनो टाइगर, ट्रंप आ गया

2014 में ट्रंप की मुलाकात हुई थी इवानोविच से
विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के नए मुखिया डोनाल्ड ट्रंप महिलाओं की 'ठर्की' छवि किसी से छुपी नहीं है। वह महिलाओं के लिए 'प्यार' बरसाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान न जाने कितनी महिलाओं ने ट्रंप पर संगीन आरोप लगाए। किसी ने कहा कि वह जबरन स्मूच करता है तो किसी ने बताया कि ट्रंप बिना इजाजत के भी महिलाओं की चेंजिंग रूम में घूस जाता है। वह किसी के लिए 'सेक्शुअल दरिंदा’ है तो किसी के लिए हवसी इंसानी।  बहरहाल अब सच यह है कि वह अमेरिका के नए राष्ट्रपति हैं। अब जब वह अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए हैं तब कुछ महिलाएं विरोध भी कर रही हैं वहीं कुछेक डरी हुई हैं । इन सब के बीच अमेरिका से कोसों दूर बैठा एक दिग्गज फुटबॉलर भी है, जो ट्रंप के आने से संभवतः डर गया है। दरअसल, ट्रंप सर्बिया की महिला टेनिस खिलाड़ी एना इवानोविच की खूबसूरती के दीवाने हैं। दीवानगी भी ऐसी कि तीन साल पहले 70 वर्षीय ट्रंप ने सर्बिया के प्रधानमंत्री इविका डाकिक से मुलाकात के दौरान इवानोविच की खूबसूरती की तारीफ कर डाली। डोनाल्ड ट्रंप की 2014 में सर्बिया के प्रधानमंत्री से मुलाकात व्यापारिक निवेश को लेकर हुई थी। उन्होंने इस दौरान पूर्व नंबर एक खिलाड़ी इवानोविच में काफी दिलचस्पी दिखाई। यही नहीं, ट्रंप ने यहां तक कह दिया था कि मैंने अपनी जिंदगी में अब तक जितनी महिलाओं को देखा है उनमें से इवानोविच सबसे खूबसूरत हैं।' वर्तमान में विदेश मंत्री डाकिक ने बताया कि तब ट्रंप 15 मिनट तक इवानोविच और उनकी खूबसूरती के बारे में ही बात करते रहे। इवानोविच ने हाल ही में जर्मनी के फुटबॉलर बास्टियन श्वांटाइगर से शादी की है। टाइगर ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कह दिया है। बास्टियन श्वांटाइगर 2014 में विश्व चैंपियन बनी जर्मनी की टीम के अहम सदस्य थे।


फिर भी महिलाओं की पसंद ट्रंप!
यौन उत्पीड़न के तमाम आरोपों के बावजूद बड़ी संख्या में महिला वोटरों ने डोनाल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस पहुंचने में मदद की। ‘सीएनएन’ के एक्जिट पोल के मुताबिक अपनी प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को 54 प्रतिशत महिला वोट हासिल होने के साथ ट्रंप को 42 प्रतिशत महिला वोटरों का साथ मिला जिससे उनकी जीत का रास्ता मजबूत हो गया। वहीं 53 प्रतिशत श्वेत महिला वोटरों ने रिपब्लिकन उम्मीदवार का समर्थन किया उनमें अधिकतर (62 प्रतिशत) कॉलेज नहीं पहुंची हैं। चुनाव के नतीजों ने पूर्वानुमानों को खारिज कर दिया कि महिलाओं के खिलाफ ट्रंप की लिंगभेदी और अभद्र टिप्पणी से महिला वोटर दूर हो जाएंगी।