Sunday 2 April 2017

हे प्रिय, तुम्हारी सैलरी कितनी है....

हमारे देश में दो तरह के लोग होते हैं। एक जो लोगोें की सैलरी पूछकर अपने बच्चों की सैलरी से तुलना करते हैं, दूसरे वो जो इसके जरिए जलील करने का मौका तलाशते हैं। बुजुर्गों ने सबकी सैलरी पूछ ली लेकिन चीयरलीडर्स की सैलरी के बारे में नहीं पूछा। हां जी, वही चीयरगर्ल जो अपनी — अपनी टीम के हर खास मूवमेंट को अपनी स्पेशल डांस से सेलिब्रेट करती हैं। ये इसलिए भी जानना जरूरी है क्योंकि आईपीएल का 10वां सीजन शुरू होने ही वाला है। आज हम आपको बताते हैं, चीयरलीडर्स की कितनी है सैलरी.... 



150 डॉलर की कमाई

5 अप्रैल से 21 मई तक चलने वाले इस महाकुंभ में कुल 60 मैच खेले जाएंगे। पिछले साल की तरह इस बार भी आईपीएल में 8 टीमें खेल रही हैं। हर टीम की अपनी चीयरलीडर्स होती हैं और इनको सैलरी भी टीम मैनेजमेंट से मिलती है। ये देसी और विदेशी भी हो सकती हैं। 2016 के आईपीएल आंकडे देखें तो इन चीयरलीडर्स को हर मैच के लगभग 100-150 डॉलर मिलते हैं। यानी ये चीयरलीडर्स करीब 7-8 हजार रुपए ​की कमाई करती हैं। खास बात यह है कि मैच जीतने पर इन्‍हें 3000 या उससे ज्यादा बोनस मिल जाते हैं। पार्टी और अन्‍य कामों के लिए इन्‍हें 7000-12000 रुपए तक मिल जाते हैं।


सिलसिलेवार जानिए हर टीम की चीयरलीडर्स की कमाई के बारे में

रॉयल चैलेंजर्स बंगलोर : आरसीबी अपनी चीयरलीडर्स को सबसे ज्यादा सैलरी देने वाली टीमों में से है। पिछले साल के सीजन में प्रति मैच 140 डॉलर दिए यानी यह करीब 10 हजार रुपए हुए। मैच जीतने पर टीम बोनस के तौर पर 3000 रुपए देती है।

कोलकाता नाइट राइडर्स : शाहरुख खान की टीम की चीयरलीडर्स को प्रति मैच 150 डॉलर मिलते हैं जो करीब 12,000 रुपए हुए। टीम के जीतने पर 3000 रुपए बोनस मिलता है।

मुंबई इंडियंस : मुंबई इंडियन की चीयरलीडर्स की प्रति मैच की कमाई 100 डॉलर है जो 8000 रुपए के करीब हुए। बोनस के रूप में 3000 रूपए भी मिलते हैं। 

इसके अलावा गुजरात लायंस,सनराइजर्स हैदराबाद,दिल्ली डेयरडेविल्स, किंग्स इलेवन पंजाब और राइजिंग पुणे सुपर ज्वाइंट ने भी पिछले साल अपनी हर चीयरलीडर्स को प्रति मैच 100 डॉलर दिए। यानी हर मैच में चीयरलीडर्स को सैलरी के रुप में 8 हजार रुपए तक मिले। इसके अलावा बोनस के तौर पर प्रत्येक चीयरलीडर को 3 हजार या उससे अधिक रुपए दिए जाते हैं। वहीं पार्टी और अन्य कार्यक्रम में काम करने की फीस का फैसला उनकी प्रति मैच सैलरी के आधार पर होता है।

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