पिछले कुछ दिनों
से सोशल मीडिया पर लगातार अक्षय कुमार को दिए गए साल 2016 के बेस्ट एक्टर के नेशनल अवार्ड को लेकर सवाल उठाए जा रहे
हैं। लोग आरोप लगा रहे हैं कि अक्षय को देशभक्ति का ईनाम मिला है। दरअसल, अक्षय को जिस
फिल्म के लिए अवार्ड मिला है वो नानावटी केस पर आधारित रुस्तम थी। इसमें कोर्इ् दो
राय नहीं कि अक्षय अभिनय की दुनिया के वो सिकंदर हैं जिन्होंने बॉलीवुड पर तीनों
खान के वर्चस्व के बावजूद अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई है। उन्होंने अपने लगभग 30
साल के फिल्मी करियर में किरदारों के साथ जितना
प्रयोग किया उससे कहीं ज्यादा उसे रुपहले परदे पर जीवंत किया। लेकिन जिस फिल्म के
लिए अक्षय को ये अवार्ड मिला है उससे सवाल उठने तो लाजमि हैं। सवाल इसलिए भी उठ
रहे हैं क्योंकि अक्षय के साथ मिस्टर परफेक्ट आमिर खान और सदी के महानायक अमिताभ
बच्चन भी इस रेस में शामिल थे। अमिताभ ने पिछले साल फिल्म पिंक में जिस खामोशी से
महिलाओं की हक के लिए संघर्ष करते बुजुर्ग वकील की भूमिका निभाई उसने विश्लेषकों
से लेकर दर्शकों तक को सोचने पर मजबूर कर दिया। अमिताभ ने पर्दे पर जिस संजीदगी से
बतौर थके वकील दलील और जिरह किया उसने रियल लाइफ में भी महिलाओं को अपने हक की जंग
जारी रखने की समझ दे दी। यही वजह थी कि फिल्म को लोगों ने हाथों—हाथ लिया और पर्दे से बॉक्स आॅफिस तक अमिताभ को
जीत मिली। लेकिन उन्हें नेशनल अवार्ड की रेस में मिली हार लोग स्वीकार नहीं कर पा
रहे हैं।
वहीं आमिर खान ने भी बायोपिक फिल्म दंगल में महावीर फोगट के
किरदार में शानदार अभिनय का नमूना पेश किया। उन्होंने फिल्म में बेटियों को कुश्ती
के दंगल में उतारने के लिए जितना संघर्ष किया उससे कहीं ज्यादा अपने शरीर के लिए
पसीना बहाया था। पर्दे पर आमिर की मेहनत साफ झलक रही थी। आमिर ने पहलवान महावीर के
किरदार को जीवंत तो बनाया ही नेशनल अवार्ड के भी प्रबल दावेदार बन गए। लेकिन आमिर
को अवार्ड के इस दंगल में मिली हार ने सबको हैरान कर दिया। इसके अलावा फिल्म नीरजा के लिए सोनम कपूर को मिले अवार्ड ने
भी एक तबके को हैरान किया है। बहरहाल , हमें नेशनल अवार्ड के इतिहास और ज्यूरी की सोच
को भी एक बार याद करना होगा। ये वही प्लेटफॉर्म है जहां विदेशों से कॉपी की गई
फिल्मों को भी नेशनल अवार्ड के लिए नामित कर लिया जाता है तो ऐसे में अक्षय को अवार्ड दिए जाने पर हैरानी नहीं होनी
चाहिए।
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