Saturday 2 July 2016

सावधान, आगे अफवाह है....

 जिस सोशल मीडिया को वर्तमान में अपनी बात रखने का बेहतरीन प्लेटफॉर्म माना जा रहा है वहां अफवाह और झूठ का साम्राज्य भी कायम हो रहा है। इस ‘अफवाह संसार’ में आम आदमी ही नहीं जाने-अनजाने में सितारे भी शरीक होने लगे हैं। 


अगर यह सवाल किया जाए कि सोशल मीडिया पर किसी सूचना या पोस्ट को लाइक या शेयर करने से पहले आप कितनी बार क्रॉस चेक करते हैं ? निश्चित ही आपका जवाब नहीं में होगा। सोचिए, अगर किसी वायरल झूठ को कोई सेलेब्रिटी सच समझकर शेयर कर दे तो क्या हो? ऐसा ही कुछ हुआ स्नूकर और बिलियर्ड्स के वर्ल्ड चैंपियन भारत के पंकज आडवाणी के साथ। दरअसल, सोशल मीडिया पर हाल ही में एक मैसेज वायरल हुआ था, जिसमें कहा गया कि यूनेस्को द्वारा पीएम मोदी को बेस्ट पीएम घोषित किया गया है। हकीकत में यूनेस्को ने ऐसा कुछ नहीं किया है लेकिन इसकी सच्चाई जाने बगैर पंकज आडवाणी ने इस मैसेज के आधार पर पीएम मोदी को बधाई देते हुए ट्वीट कर दिया। फिर क्या था, जैसे ही साइबर संसार के धुरंधरों को पता चला उन्होंने आडवाणी का जमकर मजाक उड़ाया। हालांकि आमतौर पर कैमरे से दूर रहने वाले पंकज ने बाद में सफाई भी दे दी लेकिन तब तक उनकी फजीहत हो चुकी थी। कुछ माह पहले  एक पैरोडी अकाउंट से किए गए ट्वीट को लेकर दिल्ली के पुलिस प्रमुख बी एस बस्सी को भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। बस्सी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एक टीवी पत्रकार पर निशाना साधा था। टीवी पत्रकार के पैरोडी ट्वीट में खुद पर लगाए गए आरोप से चिढ़े बस्सी ने केजरीवाल और पत्रकार को ‘खुद का गुणगान’ करने वाला कहा जबकि उन्होंने इस तथ्य पर गौर ही नहीं किया कि ऑनलाइन गाली-गलौज की प्रवृति के कारण पत्रकार ने काफी दिनों से ट्विटर का इस्तेमाल बंद कर रखा है। बस्सी जब तक ट्वीट डिलीट करते वह ट्रॉल किए जा चुके थे।  पैरोडी ट्वीट करने वाले शख्स से शीर्ष पुलिस अधिकारी का चकमा खा जाना मामूली बात नहीं थी। दरअसल, अराजकता सोशल मीडिया की पहचान बनती जा रही है और यहां सूचना और अफवाह में अंतर मिट जाता है। गलत सूचनाएं वायरल होने से  ही मुजफ्फरनगर और असम जैसे दंगे हुए। आए दिन इस संसार में ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार, शशि कपूर और कादर खान जैसे सितारों को जिंदा रहते ही श्रद्धांजलि दे दी जाती है। साइबर दनिया में पैरोडी अकांउट और फोटोशॉप का लगातार दबदबा बढ़ता जा रहा है और 'अंध यूजर' बेधड़क बिना किसी जांच परख के उसे 'लाइक', 'शेयर'या 'रीट्वीट' करने को तैयार बैठे रहते हैं। फोटोशॉप के जरिए तो झूठ-फरेब फैलाने का खेल हर दिन खेला जा रहा है। हो सकता है, कुछ युवा मसखरी में ऐसा करते हों लेकिन सेलिब्रेटी और संस्थान भी इसका हिस्सा बन जाते हैं। बीते साल की बात है, सोशल मीडिया पर फिल्मकार अमुराग कश्यप ने एक फिरकी ली । उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी एक आंख पर चोट लगी तस्वीर शेयर की थी। उन्होंने लिखा कि यह मिक्सड मार्शल आर्ट्स लड़ाके से झड़प की देन है। जाहिर है इस तस्वीर को वायरल होना था। इसके बाद सामने आए कश्यप ने खुद इस तस्वीर को फर्जी बता दिया। उन्होंने कहा कि यह एक बनावटी इम्तिहान था। इस पर खबर बनाने वाले पत्रकार और समाचार संस्थाओं को झेंपना पड़ा। कश्यप ने कहा कि उन्होंने शर्त लगाई थी कि यह तस्वीर बिना क्रॉस चेक के खबर बन जाएगी, यकीनन वह जीत गए।  इसी तरह 2015 में जब चेन्नई में लगातार बारिश के बाद बाढ़ आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां का हवाई दौरा किया। उसी दिन प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो ने प्रधानमंत्री मोदी की एक तस्वीर ट्वीट पर शेयर की, जिसमें वे हेलिकॉप्टर में बैठे हैं और खिड़की से बाढ़ग्रस्त चेन्नई का जायजा ले रहे हैं। कुछ देर बाद इस फोटो को फर्जी बताया गया। असली तस्वीर में हेलिकॉप्टर की खिड़की के बाहर हर ओर पानी और पेड़ वगैरह दिख रहे थे, जबकि पीआईबी की फोटो में फोटोशॉप की मदद से शहर के हालात को स्पष्ट दिखाने के लिए खिड़की से बाहर पानी में डूबे मकानों की एक तस्वीर पेस्ट कर दी गई। ट्विटर पर खूब खिल्ली उड़ाए जाने के बाद पीआईबी ने यह फोटो डिलीट कर दी। कुछ ऐसा ही दिल्ली सरकार की आॅड-इवेन योजना के बारे में भी 2009 की एक तस्वीर प्रसारित करके दिखाया गया कि कैसे यह योजना फेल हो गई है। ऐसा ही कुछ लातूर में पानी की रेल चलाई गई तो कहा गया कि भारत में पहली बार पानी की रेल चली है। इस पर एक अंग्रेजी अखबार ने खबर छापी कि 2 मई, 1986 को भारत में पहली बार गुजरात के राजकोट में पानी की रेल चली थी। राजस्थान में पिछले 14 साल से पानी सप्लाई के लिए रेलवे की सेवा ली जा रही है। ये उदाहरण बताने के लिए काफी हैं कि ऑनलाइन अफवाह का दबदबा बढ़ता जा रहा है। यह भी सच है कि सोशल मीडिया से मिल रही चुनौतियों से निपटने के लिए भारत तैयार नहीं है। भारत की सरकार के लिए साइबर सिक्योरिटी अभी तक प्राथमिकता का विषय नहीं है इसलिए ना तो ध्यान दिया जाता है, ना ही इसे लेकर कोई राष्ट्रीय नीति है। भारत के पास बजट तो है लेकिन इसे कैसे खर्च किया जाए इसका अधिकारियों को पता नहीं है। लेकिन ब्रिटेन इसको लेकर चेत चुका है। ब्रिटिश सरकार की ओर से  अगस्त 2011 में लंदन में हुए दंगे में सोशल मीडिया की भूमिका पर एक समिति भी बनाई गई। इस समिति ने ‘आफ्टर द रायट्स’ नाम से रिपोर्ट पेश की। समिति ने सोशल मीडिया पर अफवाह पर मुख्यधारा के मीडिया और सेलिब्रेटियों के विश्वास करने को गंभीर माना।   




अफवाह 
सीमा पर तिरंगा फहराते जवान
हाल ही में फर्जी पोस्ट्स में शुमार होने वाली तस्वीर सीमा पर तिरंगा फहराते जवानों की थी। देशभर के सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में तिरंगा फहराए जाने के एलान के बाद समाचार चैनलों पर बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता ने इसका हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि भारतीय सैनिक मरते दम तक सीमा पर तिरंगा फहराने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह थी कि तस्वीर फर्जी थी और फोटोशॉप के जरिए बनाई गई थी। पुलित्जर अवार्ड से सम्मानित हो चुकी यह तस्वीर आइवोजीमा में झंडा फहराते जवान की थी।

नासा से भारतीय लड़की को न्यौता
बीते दिनों सोशल मीडिया के सभी मंचों पर पश्चिम बंगाल की एक 18 साल की लड़की शतपर्णा मुखर्जी को लेकर गर्व करने लायक खबर फैल रही थी। इसमें बताया गया था कि अंतरिक्ष अनुसंधान में सबसे काम को अंजाम देने वाली वैज्ञानिक संस्था नासा ने लड़की को अपने साथ इंटर्नशिप की पेशकश की है। जल्द ही यह खबर फर्जी साबित हो गई। नासा ने साफ किया कि उनके पास इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि इस नाम के किसी को इंटर्नशिप, स्कॉलरशिप या किसी भी तरह की अकादमिक या आर्थिक मदद की पेशकश की गई है।द्

धोनी की बेटी की पहली झलक
बीते साल भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बेटी जीवा की पहली झलक वाला वीडियो पिछले दिनों सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा था। एक तस्वीर में भी धोनी को जीवा के साथ दिखाया गया था। मगर, यह सच नहीं था। जीवा की मां साक्षी धोनी ने तस्वीर और वीडियो को फर्जी बताया। बाद के दिनों में जीवा को देखने वाले सबने यकीन किया कि उस तस्वीर और वीडियो में दिखाई गई नन्ही बच्ची जीवा नहीं थी।

एमएच-17 को बम से गिराने का वीडियो
बीते दिनों लोगों का ध्यान खींच रहा हवाई जंग का वीडियो फर्जी साबित हो गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखाया गया था कि जुलाई 2014 में मलेशिया एयरलाइंस के एमएच-17 विमान को रूसी रुझान वाले आतंकियों ने मिसाइल मारकर गिरा दिया था। बाद में यह फुटेज नकली साबित हो गया।

जिसको खाने से होती है मौत
आपको जागरूक करने के नाम पर सॉफ्ट ड्रिंक, आलू चिप्स, कैंडिज को मौत का सामान बताया जाता है। कई सालों से चल रहे ऐसे पोस्टस के पीछे कोई खास रिसर्च या सबूत नहीं होते। यह सिर्फ हवाई चेतावनी के सहारे फैला दिया जाता है और किसी का भला नहीं करता। हाल ही में टॉफी पल्स कैंडीज को लेकर ऐसे पोस्ट्स वायरल हुए थे. इनका कोई आधार नहीं था, लेकिन इसने लाइक, शेयर और कमेंट्स को खूब आकर्षित किया।


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जो सरकार ने किया

844 सोशल मीडिया पेज ब्लॉक किए गए सरकार द्वारा जनवरी से नवंबर, 2015 के बीच।
492 पेज इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 के सेक्शन 69ए के तहत ब्लॉक किए गए।
4,192 मामले सेक्शन 66ए के तहत दर्ज किए गये देश भर में पिछले साल।
15,155 फेसबुक के कंटेंट को प्रतिबंधित किया गया सरकार के द्वारा इस वर्ष जून तक
352 साइट लिंक प्रतिबंधित किए गए 2015 के नवंबर महीने तक।
19 फीसदी है भारत में इंटरनेट की पहुंच भारत में जो कि इस श्रेणी में दुनिया की तीसरी सबसे संख्या है।

 




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