Monday 7 August 2017

चोटी नहीं, पंख बचाइए...

पिछले कुछ दिनों से दो खबरों ने लोगों के जेहन में आतंक फैला रखा है। पहली खबर मॉर्डन दौर के इंटरनेट गेम ब्‍लू व्‍हेल की वजह से मौत की जद में जा रहे बच्‍चों से जुड़ी है तो दूसरी खबर महिलाओं की रहस्‍यमयी चोटी काटने की है। इन दोनों खबरों ने लोगों की सोच के डोर को दो छोर पर ला खड़ा किया है। इंटरनेट गेम के जरिए बच्‍चों की मौत ने जहां आधुनिकता को नई चुनौती दे दी है तो वहीं चोटी काटने की घटना ने मॉर्डन इंडिया के मुहिम को सदमा पहुंचा दिया है। इंटरनेट गेम के जरिए जान जाने की घटना किसी भी मायने में कम नहीं हो सकती लेकिन हां, उसे कंट्रोल करने के तमाम उपाय तलाशे जा सकते हैं। लेकिन क्‍या चोटी काटने की घटना को भी उसी की तरह है। मेरा मानना है शायद नहीं। ये सिर्फ चोटी काटने की घटना भर नहीं है, ये लड़कियों या महिलाओं के पर कतरने का जरिया भी बन निकला है। दरअसल, महिलाएं इस भोथरे समाज में लोथड़े से ज्‍यादा नहीं हैं। उनके हर कदम हमारी मर्दनागी को चुनौती देने का काम करती है। तभी तो हवस भरी निगाहों से ही रेप कर दिया जाता है और उससे भी जी न भरे तो जबरदस्‍ती भी कर लेते हैं। दरअसल, महिलाओं को घर से बाहर निकलने नहीं देना और चारदिवारी में समेट कर रखना ही हमारी जीत है। अगर निकले भी तो पूरी तरह से देहाती बनकर ही निकले तभी भला होगा क्‍योंकि मॉडर्न लुक पचाने की हमारे अंदर पाचन शक्ति नहीं है। ऐसे में क्‍यों न ऐसा स्‍वांग रचा जाए, जिसमें डर का माहौल बन जाए और फिर वह घर के अंदर दुबकी रहे। जरूरी नहीं कि चोटी काटने की हर घटना के पीछे का मकसद यही हो लेकिन अधिकतर में यही स्थिति है। 

  यह स्थिति किसी जानलेवा गेम से कहीं ज्‍यादा खतरनाक है। इस स्‍वांग के जरिए महिलाओं का दम घोटनें का काम किया जा रहा है। चोटी कौन काट रहा है, क्‍यों काट रहा है, इसको गंभीरता से लेने की बजाए मजाक का बिषय बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर फनी तस्‍वीरें शेयर की जा रही हैं। इस मजाक के जरिए मामले की गंभीरता को दबाया जा रहा है। गौर से समझिए,  इशारों में महिलाओं और लड़कियों को धमकाया जा रहा है। अगर इस बेहूदा मजाक का हिस्‍सा आप भी हैं तो निश्चित ही महिलाओं की आजादी को कैद करने का काम कर रहे हैं। सरकारें मौन देख रही हैं, मौन देखेंगी भी क्‍योंकि उन्‍हें भी आपके पंख काटने में ही शांति मिलती है। इस सोशल आबोहवा में गुमराह न होइए, इस साजिश को बेनकाब कीजिए और चोटी नहीं अपने पंख को बचाइए।
          

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