नई दिल्ली। जरा सोचिए,
जब किसी लड़की को 13 साल की उम्र में शादी के लिए पढ़ाई छोड़ने को मजबूर किया गया होगा
तब उस पर क्या गुजरी होगी। ऐसी स्थिति में आमतौर पर लड़कियां पढ़ाई को बहुत पीछे
छोड़ देती हैं और फिर उनका पूरा ध्यान परिवार पर हो जाता है। लेकिन बिहार के
सीतामढ़ी की आशा खेमका उन लड़कियों में से नहीं थीं। सिर्फ 15 साल की उम्र में
शादी होने के बाद उन्होंने 36 साल की उम्र में अपनी पहली डिग्री लेने का फैसला और
आज ब्रिटेन के सबसे बड़े कॉलेजों में शुमार वेस्ट नॉटिंघमशायर कॉलेज की सीईओ और प्रिंसिपल
हैं। आशा खेमका को हाल ही एशियन बिजनेसवुमन ऑफ द ईयर
का खिताब दिया गया है। आइए जानते हैं, आशा
खेमका की सक्सेस स्टोरी के बारे में
बिहार से ब्रिटेन का सफर
मां
की मौत के बाद आशा खेमका की शादी हो गई, तब उनकी उम्र सिर्फ 15 साल थी। शादी के
करीब 11 साल बाद खेमका जिंदगी में बड़ा बदलाव आया। दरअसल, जब वह 26 साल की थीं तभी
उनके डॉक्टर पति शंकर अग्रवाल ने इंग्लैंड में नौकरी पक्की कर ली थी। फिर वो अपने
पति के पास अपने बच्चों के साथ ब्रिटेन पहुंचीं।
अंग्रेजी बनी सबसे बड़ी मुसीबत
इंग्लैंड आने के
बाद हिंदी इलाके की आशा खेमका के लिए सबसे बड़ी मुसीबत अंग्रेजी बनी लेकिन कॉन्फिडेंस
कम नहीं हुआ। यहां उन्होंने टूटी-फूटी अंग्रेजी में साथी महिलाओं से बात करना
शुरू किया। कुछ सालों बाद कैड्रिफ यूनिवर्सिटी
से बिजनेस मैनजमेंट की डिग्री ली। एक इंटरव्यू में खेमका ने बताया था कि अंग्रेजी
में कमजोर होने की वजह से पढ़ाई के दौरान वह प्रोजेक्ट अपने बच्चों से बनवाती
थीं। और टीवी पर बच्चों के लिए आने वाले शो को देखकर अंग्रेजी सीखती थीं।
ऐसे बन गईं प्रिंसिपल
पढ़ाई
पूरी करने के बाद आशा ऑस्वेस्ट्री कॉलेज में पढ़ाने लगीं। अपने छात्रों की फेवरेट
टीचर थीं। इसके बाद ब्रिटेन के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शुमार वेस्ट
नॉटिंघमशायर कॉलेज में लेक्चरर बन गईं। दिलचस्प बात यह है कि आज वह इसी कॉलेज की
सीईओ और प्रिसिंपल हैं।
मिला ब्रिटेन का सबसे बड़ा सम्मान
आशा
को 2008 में ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर’ से सम्मानित किया गया। 2013 में ब्रिटेन के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'डेम कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश
अंपायर' का सम्मान से नवाजा गया था। उनसे पूर्व ये
सम्मान किसी भारतीय मूल के शख्स को 1931 में मिला था। तब धार स्टेट की महारानी
लक्ष्मी देवी बाई साहिबा को ये डेम पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
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