वर्तमान दौर में हमारी भावनाएं बहुत संवेदनशील और असंयमित हो गई हैं। यह कभी भी और किसी भी रूप में आहत हो सकती हैं। पिछले कुछ समय से धर्म के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है। टीवी पर आपत्तिजनक कंटेंट दिखाए जाने की शिकायत करने के लिए गठित संस्था बीसीसीसी की हालिया रिपोर्ट भी इसी ओर इशारा करती है।
' मैं जितने धर्मों को जानता हूं उन सब में हिंदू धर्म सबसे अधिक सहिष्णु है। इसमें कट्टरता का जो अभाव है वह मुझे बहुत पसंद आता है, क्योंकि इससे उसके अनुयायों को आत्माभिव्यक्ति के लिए अधिक-से-अधिक अवसर मिलता है। हिंदू धर्म एकांगी धर्म नहीं होने के कारण उसके अनुयायी न सिर्फ अन्य सब धर्मों पर आदर कर सकते हैं लेकिन दूसरे धर्मों में जो कुछ अच्छाई हो उसकी प्रशंसा भी कर सकते हैं और उसे हजम भी कर सकते हैं।' राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ये विचार वर्तमान दौर में प्रासंगिक हैं या नहीं इस बहस में पड़ने से पहले टीवी पर आपत्तिजनक कंटेंट दिखाए जाने की शिकायत करने के लिए 2011 में गठित संस्था ब्रॉडकास्ट कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल (बीसीसीसी) की हालिया रिपोर्ट पर एक नजर डाल लेते हैं। रिपोर्ट मे बताया गया है कि टेलीविजन के कंटेंट से संबंधित शिकायतों की प्रवृत्ति में बदलाव आया है। रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2012 और नवंबर 2015 के बीच प्राप्त टीवी कंटेंट की करीब पांच हजार शिकायतों में से 28 प्रतिशत ‘धर्म व समुदाय’ से संबंधित थीं। यानी एक चौथाई से भी ज्यादा दर्शकों की भावनाएं आहत सिर्फ धर्म को लेकर हुईं। मतलब साफ है कि भावनाएं आहत होने वाले दिलों की तादाद बढ़ी हैं। शायद हर चोट का इलाज दुनिया में है लेकिन ये बार-बार छोटी छोटी बात पर आहत होने वाली भावनाओं वाली बीमारी लाइलाज है। वर्तमान दौर में भावनाएं आहत होने के कई प्रकार हैं। मसलन, सब टीवी पर प्रसारित होने वाले भगवान चित्रगुप्त पर आधारित कॉमेडी सीरियल 'यम हैं हम ' के कंटेंट को लेकर कुछ कायस्थ संस्थाओं ने बीसीसीसी के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उनका कहना था कि शो में चित्रगुप्त, जिन्हें कायस्थ अपना भगवान मानते हैं, को बेहद ही मजाकिया और गलत अंदाज में प्रस्तुत किया गया है। हालांकि सीरियल के कुछ एपिसोड देखने के बाद बीसीसीसी इस नतीजे पर पहुंची कि यह शो समाज के लिए अच्छे मैसेज देता है। इससे किसी भी धर्म अथवा समुदाय की भावना आहत नहीं होती है। इसी तरह सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले शो 'संकटमोचन हनुमान' के बारे में कहा गया कि इस धारावाहिक के पात्र अजीबोगरीब हैं और इसमें भगवान हनुमान से संबंधित मनगढ़ंत किस्से दिखाए गए हैं। शो को देखने के बाद बीसीसीसी ने सारे आरोपों को खारिज किया और प्रसारण प्रतिबंध से भी इन्कार किया। सवाल उठता है कि क्या सचमुच धार्मिक शो में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है या यूं ही बात-बात पर भावनाएं आहत हो जाती हैं? लाइफ ओके के चर्चित शो 'देवों के देव महादेव' के सहयोगी संपादक रह चुके देवदत्त पटनायक इस तरही की शिकायतों को बेतुका बताते हैं। वह कहते हैं, ' हमने अपने शो महादेव में भगवान शंकर की बेटी का भी जिक्र किया, जिसके बारे में किसी भी ग्रंथ में कुछ नहीं लिखा गया है लेकिन हमें एक लोककथा के जरिए इसकी जानकारी मिली और हमने दर्शकों के सामने इसी को अपने ढंग से प्रस्तुत कर दिया। अब आप ही बताइए, यह कौन तय करेगा कि क्या सही है और क्या गलत? मेरी समझ से ऐसे प्रयोगों की तारीफ होनी चाहिए। ' वह आगे कहते हैं, ' बीआर चोपड़ा के 'महाभारत' को ही देख लीजिए। पारंपरिक महाभारत को संपादित कर 12 अध्याय का कर दिया गया लेकिन आम धारणा यह बन गई कि चोपड़ा के 'महाभारत' जो दिखाया गया वो सही था। इसी तरह रामानंद सागर की 'रामायण' को देखकर भी लोगों ने अपने दिमाग में भगवान और उनके किस्सों की एक छवि बना ली। हालांकि यह सीरियल सिर्फ तुलसीदास के रामचरित मानस से प्रेरित था। आज तक दक्षिण भारत के रामायण का कहीं जिक्र नहीं किया गया है।' देवदत्त आगे कहते हैं, ' उदाहरण के तौर पर स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले शो 'सिया के राम' को ले लीजिए। अब तक हम सीता को एक बेबस और लाचार स्त्री के रूप में प्रस्तुत करते रहे हैं लेकिन इस शो के जरिए पहली बार दर्शकों को रामायण, सीता की नजर से देखने का मौका मिल रहा है। ऐसा भी नहीं है कि शो में मनगढ़ंत किस्से दिखाए जा रहे हैं । यह दक्षिण भारत के रामायण से प्रेरित धारावाहिक है। इसमें बताया गया है कि सीता सिर्फ एक बेबस लड़की नहीं है बल्कि शिक्षित और मजबूत भी है। ' इस बाबत सीरियल 'महाभारत' के प्रोड्यूसर सिद्घार्थ तिवारी कहते हैं,' जब भगवान को उस तरह से पेश किया जाता है जैसे साधारण लोग रहते हैं और व्यवहार करते हैं तब लोग इस तरह की कल्पना से ज्यादा जुड़ाव महसूस कर पाते हैं चाहे वह कोई भी दौर रहा हो। ' हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में भावनाएं खुद नहीं भड़कतीं, बल्कि भड़काई जाती हैं। वर्ना भावनाएं आहत तो भोजपुरी भजन ‘ऐ गणेश के पापा’ के बोल पर भी हो सकती थीं। भोजपुरी गायिका कल्पना द्वारा गया यह भजन पूरे उत्तर भारत में मशहूर हुआ था। आज भी धार्मिक उत्सवों में यह भजन जरूर बजता है लेकिन कहीं कोई विरोध के स्वर नहीं उठते हैं। जानकार मानते हैं कि भावनाएं आहत होने के पीछे पहचान स्थापित करने की एक कोशिश भी होती है।
'हिंदुत्व में हर विचार के लोगों के लिए जगह'
दीवी सीरियल के कुछ दर्शकों की भावनाएं भले ही बहुत जल्द आहत हो जाती हों लेकिन हिंदुत्व की मूल अवधारणा इससे भिन्न है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व की जड़ता पर प्रहार करते हुए उसकी उदारता की व्याख्या किया और कहा, ' यह एक ऐसा धर्म है जिसका कोई एक संस्थापक नहीं है। इसका कोई एक धर्मग्रंथ नहीं है और न ही इनकी सीखों का एक रूप है। इसे सनातन धर्म के तौर पर बताया गया है। यह सदियों की प्रेरणा और सामुदायिक समझदारी की परिणति है। हिंदुत्व इसी का प्रचार - प्रसार है। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एनवी रमन्ना की पीठ ने मंदिरों में पुजारियों की नियुक्तियों के फैसले के संदर्भ में हिंदुत्व के बारे में कहा, ' लोगों का समूह जिन विचारों को
मानता है धर्म उसी को अपने में समाहित करता है। एक धर्म के रूप में हिंदुत्व किसी एक विचार को किनारे किए या उसे चुने बगैर सभी तरह के विचारों को अपने में जगह देता है। ' कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य से तो यह कहा जा सकता है कि हमारे धर्मनिरपेक्ष ढांचे के तहत धार्मिक मामलों से वह किनारे रहे लेकिन अदालतों से ऐसा नहीं कहा जा सकता है।'
-
------------------
30 हजार के करीब शिकायतों का निपटारा बीसीसीसी ने 2011 में अपने गठन से लेकर इस साल नवंबर तक किया है।
01 फीसदी शिकायतें कलाकारों को धूम्रपान करते पेश करने तथा शराब व नशीले पदार्थों के सेवन के दृश्यों के प्रसारण से जुड़ी हैं। इन दृश्यों से घर के बड़े - बुर्जुग खफा हैं।
02 फीसदी शिकायतें आम बंदिशों की कैटेगरी में हैं। इनमें देश का गलत नक्शा दिखाना, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान और अदालत की कार्यवाही को गलत तरीके से दिखाना शामिल है।
08 प्रतिशत ने टीवी शोज में अभद्र भाषा के इस्तेमाल तथा अश्लीलता को लेकर शिकायत की है। विशेषकर अंग्रेजी कार्यक्रमों के कंटेंट की।
11 प्रतिशत शिकायतें डरावने व अंधविश्वास फैलाने वाले शो की हैं। शिकायत करने वाले ज्यादातर लोगों ने इनके प्रसारण समय पर सवाल उठाए हैं।
11 फीसदी शिकायतें क्राइम शोज के बारे में आई हैं। खासकर इनमें दिखाई जाने वाली शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना और घरेलू हिंसा से लोग आहत हुए हैं।
28 प्रतिशत ने धार्मिक व पौराणिक कथाओं पर आधारित कार्यक्रमों को लेकर शिकायतें की हैं। इनका मानना है कि कुछ शो तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।
39 फीसदी शिकायतें विकलांग, बाल विवाह, शोषण, महिलाओं का रूढ़िवादी चित्रण और सार्वजनिक भावना को ठेस पहुंचाने वाले कंटेंट के प्रसारण से जुड़ी हैं।
क्या है बीसीसीसी?
चैनलों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने व कार्यक्रमों से जुड़े सुधारात्मक उपाय सुझाने के लिए जून 2011 में भारतीय प्रसारण संघ ने बीसीसीसी का गठन किया गया था। इसमें 13 सदस्य हैं। यह काउंसिल न केवल दर्शकों से मिलने वाली शिकायतों की, बल्कि गैर सरकारी संगठनों व सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं की भी समीक्षा करती है।
बन चुका है हिंदू लीगल सेल
सीरियल अथवा फिल्मों के जरिए जिनकी भावनाएं आहत हुई जा रही हैं, उनके दिलों पर कानूनी मरहम लगाने के लिए हिंदू लीगल सेल बन चुका है। इसे देशभर के 100 से ज्यादा वकीलों ने पिछले साल लॉन्च किया था। यह संगठन 'हिंदू मानवाधिकारों' के लिए लड़ने के साथ ही आस्था के खिलाफ किसी भी अनादर से निपटेगा। इस सेल ने हाल में आमिर खान और 'पीके' के निर्माताओं के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए एक मामला दर्ज कराया था। सेल ने फिल्ममेकर रामगोपाल वर्मा के गणेश चतुर्थी मनाने के औचित्य को लेकर किए गए ट्वीट्स को लेकर वर्मा के खिलाफ भी एक मामला दर्ज कराया था।
-----------------
जिन धार्मिक शो की
हो चुकी है शिकायत
यम हैं हम
शिकायत ः सब टीवी पर प्रसारित होने वाला भगवान चित्रगुप्त जी पर आधारित कॉमेडी सीरियल 'यम हैं हम ' पर भगवान पर आपत्तिजनक टिप्पणी और तरह तरह के बेतुके व्यंग्य पर कई कायस्थ संस्थाओं ने अपना विरोध जाहिर किया है। हालांकि सीरियल के कुछ एपिसोड देखने के बाद बीसीसीसी इस नतीजे पर पहुंची कि यह शो समाज के लिए अच्छे मैसेज देता है। इससे किसी भी धर्म अथवा समुदाय की भावना आहत नहीं होती है।
यम किसी से कम नहीं
शिकायतः एपिक चैनल के शो यम किसी से कम नहीं के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि यम का किरदार कमजोर और लालची है। यह किरदार भारतीय भगवान का उपहास उड़ाता है लेकिन बीसीसीसी ने माना कि शो में यम का किरदार कॉमिक और व्यंग्यात्मक है। इसमें कुछ भी अनादरपूर्ण अथवा आहत करने वाला नहीं है।
संकटमोचन हनुमान
सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले शो संकटमोचन हनुमान के बारे में कहा गया कि इस धारावाहिक के पात्र व्यंगात्मक और ऊटपटांग से हैं। इस शो को देखने के बाद बीसीसीसी ने सारे आरोपों को खारिज किया और प्रसारण प्रतिबंध से भी इन्कार किया।
नारायन - नारायन
बिग मैजिक पर प्रसारित होने वाले शो नारायन - नारायन की भी शिकायत हो चुकी है। आरोप है कि इस शो में नारद मुनि को बेहद कॉमिक और नौटंकी के अंदाज में पेश किया गया है और इसकी कहानियां फेक हैं। हालांकि बीसीसीसी ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया और इसे सिर्फ हास्य शो करार किया।
महाभारत ः स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले एकता कपूर के शो महाभारत की भी शिकायत हुई थी। आरोप है कि इस शो के कंटेंट से छेड़छाड़ हुई है। बीसीसीसी ने पाया कि यह शो एक अलग तरह का प्रयोग था। इस पर पाबंदी का सवाल नहीं है।
देवों के देव महादेव ः लाइफ ओके का चर्चित सीरियल देवों के देव महादेव को लेकर भी बवाल मच चुका है। आरोप है कि सीरियल में भगवान शिव और पार्वती के बीच के प्रेम को बेहद ही अश्लील तरीके से दिखाया गया है। साथ ही ऐसे किस्से भी दिखाए गए हैं जिनका ग्रंथों में कहीं जिक्र नहीं है। हालांकि बीसीसीसी ने इस शो में किसी भी तरह की अश्लीलता होने और कंटेंट से छेड़छाड़ से इन्कार किया।
बुद्धा ः जी टीवी के सीरियल बुद्धा के कंटेंट को लेकर कई शिकायतें बीसीसीसी को मिलीं। आरोप है कि भगवान बुद्ध के किरदार को जरूरत से ज्यादा ग्लैमर रूप दिया गया है। दिलचस्प यह है कि बौद्ध धर्म के भगवान बुद्ध की जीवनी पर आधारित शो में कंटेंट से संबंधित शिकायतें हिंदू धर्म के लोगों ने किया। आरोपों को बीसीसीसी ने खारिज कर दिया।
------------
जिन गानों ने बनाया भक्त
और भगवान को मॉर्डन
बीडी जलइले से ज्योति जलइले तक…
2010 में आई फिल्म ‘अतिथि तुम कब जाओगे’ में एक भजन ‘ज्योति जलाइले’ पर कुछ लोगों ने नाक-भौं सिकोड़ी थी। सुखविंदर सिंह द्वारा गाया गया यह भजन फिल्म ‘ओमकारा’ के एक आइटम नंबर ‘बीड़ी जलाइले’ के तर्ज पर है। गुलजार द्वारा लिखे गए गीत बीड़ी जलाइले को बिपाशा बासु के ऊपर बेहद हॉट तरीके से फिल्माया गया था। कई ऐसे भी मॉर्डन भजन हैं जिन्हें क्षेत्रीय भाषाओं में रिकॉर्ड किया गया लेकिन वह पूरे देश में मशहूर हुईं।
ऐ गणेश के पापा
भोजपुरी का बहुचर्चित भजन ‘ऐ गणेश के पापा’ बेहद लोकप्रिय हुआ था। 1997 में भोजपुरी गायिका कल्पना द्वारा गया यह भजन बिहार सहित पूर्वांचल में बेहद मशहूर हुआ था। इस भजन में देवी पार्वती और शंकर भगवान के बीच हो रही एक काल्पनिक वार्तालाप के साथ गाया गया है। देवी पार्वती शंकर भगवान को गणेश के पापा कहकर सबोंधित करती हैं और उनके लिए पत्थर पर भांग पीसने में अपनी असमर्थता जताती हैं। इस गाने की पूर्वांचल में आज भी खूब धूम है।
राधा-कृष्ण की हरियाणवी लव स्टोरी
कुछ साल पहले एक हरियाणवी भजन पूरे हिंदी क्षेत्र में हिट हुआ था। इस भजन के बोल कुछ इस प्रकार थे- अरे रे मेरी जान है राधा, तेरे पे कुर्बान में राधा…रह न सकूंगा तुझसे दूर मैं… इस गीत में श्रीकृष्ण राधा से अपने प्रेम का इजहार कर रहे हैं। इस गाने की धूम आज भी है।
-------
हॉलीवुड में धर्म का बाजार गर्म
एक्स-मैन: एपोकैलिप्स ः हाल ही में एक्स-मैन सीरीज की नई फिल्म का ट्रेलर जारी हुआ है, जिसका टाइटल है ‘एक्स-मैन: एपोकैलिप्स’। इसके ट्रेलर में फिल्म का विलेन खुद की तुलना हिन्दू देवता भगवान राम और कृष्ण से करता नजर आ रहा है। इस बारे में पता चलने पर अमेरिका में एक हिन्दू नेता राजन जेड ने इस डायलॉग को फिल्म से हटाने की मांग की है। खबरों के मुताबिक, फिल्म में अभिनेता ऑस्कर इसाक विलेन की भूमिका में हैं। ट्रेलर में वो एक डायलॉग बोलते नजर आ रहे हैं 'मुझे जिंदगी में कई बार कई नामों से पुकारा गया है। राम, कृष्ण और यावेह।' राजन जेड ने डायरेक्टर ब्रायन सिंगर से इस डायलॉग को ट्रेलर और फिल्म दोनों से हटाने की मांग की है, क्योंकि यह डायलॉग धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।
आइज वाइड शट: श्रीलंकाई तमिल कर्नाटक शैली के गायक मानिकराम योगेश्वरन से लंदन के एक स्टूडियो ने गीता के श्लोक गाने के लिए बुलावा भेजा। वह काफी खुश हुए, क्योंकि उन्हें विश्व स्तर पर परफॉर्म करने का मौका मिल रहा था लेकिन इसका इस्तेमाल स्टेनले क्यूब्रिकके निर्देशन में बनी विवादित फिल्म आइज वाइड में टॉम कू्रज और निकोल किडमैन के अंतरंग दृश्यों के फिल्मांकन में किया गया। योगेश्वरन को पता भी नहीं था कि उनके द्वारा गया श्लोक का इस्तेमाल इस तरह से किया जाएगा।
होली स्मोक: इसी कड़ी में केट विंसलेट और हार्वे केटल अभिनीत फिल्म होली स्मोक को भी कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इसकी भारत में शूटिंग को लेकर कहा गया कि इसमें हिंदू धर्म को नास्तिक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
नाइन लाइव्स: विश्व प्रसिद्ध सोनी म्यूजिक ने वर्ष 1997 में नाइन लाइव्स सीडी निकाली थी। इसमें भगवान कृष्ण को अपमानजनक मुद्रा में दिखाया गया था। भगवान कृष्ण के सीने से ऊपर का हिस्सा बिल्ली का था।
इंडियाना जोंस एंड टेंपल आॅफ डूम: स्पिलबर्ग ने इंडियाना जोंस और द टेंपल आॅफ डूम में दो औरतों के चित्र दिखाए, जिसमें एक को विदूषक और दूसरी को दुष्टात्मा के रूप में दिखाया गया। सर्वविदित है कि हिंदू धर्म में देवी काली को बुराइयों को खत्म करने वाली शक्ति के रूप में जाना जाता है, लेकिन स्पिलबर्ग ने उन्हें दानवी के रूप में दर्शाया।
मडोना: वर्ष 1998 में एमटीवी अवार्ड समारोह के दौरान मडोना ने खुद को भगवान शिव की वेशभूषा में प्रस्तुत करके अंतराष्ट्रीय फैशन जगत में हलचल मचा दी थी। मडोना ने इस बात को काफी भुनाया।
टूडी स्टेलर: हाल में लंदन के रॉयल ओपेरा हाउस के तिब्बती पीस गार्डेन में पॉप स्टार स्टींग्स की पत्नी टूडी स्टेलर एक ऐसी स्कर्ट में दिखी, जो भगवान गणेश के परिधानों की डिजाइन पर आधारित थी। इस ड्रेस की तारीफ तो हुई, पर ऐसे वस्त्रों पर हिंदुओं के देवी-देवताओं के चिन्हों-प्रतीकों का इस्तेमाल धर्म विरुद्ध है।
जेना: वॉरियर प्रिंसेस: 1999 के फरवरी माह में दुनिया के सबसे मशहूर टीवी सीरियलों में से एक जेना: वॉरियर प्रिंसेस में कृष्ण, हनुमान, काली और इंद्रजीत जैसे हिंदू देवताओं को इस अंदाज में दिखाया गया, जिसकी चर्चा हमारे धर्मग्रंथों या किंवदंतियों में कहीं नहीं है।
माइक मायर: वर्ष 1999 के अप्रैल माह में वैनिटी फायर के लिए फोटोग्राफर डेविड ला चैपल माइक मायर के शॉट्स ले रहे थे। इन शॉट्स में माइक मायर ने हिंदू देवी-देवताओं की वेशभूषा में एक कार्टूनिस्ट की तरह पोज दिया था। दक्षिण एशियाई पत्रकार संघ के सदस्यों ने इसकी निंदा की और कहा कि यह हिंदू देवी-देवताओं का घोर अपमान है, पर न्यूज वीक ने इस संदर्भ में सफाई दी कि हो सकता है, इस समय हॉलीवुड हिंदूवाद को बढ़ावा दे रहा हो।
-------------
जिनसे आहत हुई भावना
'धर्म संकट' ः हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'धर्म संकट ' को लेकर बवाल मच चुका है। फिल्म में एक्टर परेश रावल, नसीरुद्दीन शाह और अनु कपूर के जरिए की गई कॉमेडी ने कुछ विवादित मुद्दे खड़े कर दिए। पूरी फिल्म एक कट्टर हिंदू (परेश रावल) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसको बड़े होने के बाद इस बात का पता चलता है कि वह तो पैदायशी मुस्लिम है। उसे हिंदू परिवार ने सिर्फ गोद लिया था। फिल्म का प्लॉट इतना विवादास्पद है कि सेंसर बोर्ड को भी फिल्म को सर्टिफिकेट देने से पहले एक पंडित और एक मौलवी को बुलवा कर पहले उन्हें फिल्म दिखानी पड़ी। उसके बाद सर्टिफिकेशन प्रोसेस को ध्यान में रखते हुए उनसे पूछा गया कि क्या कहीं कोई विवादास्पद सीन फिल्म से काटना है?
पीके (2014)
बीते साल रिलीज हुई ये फिल्म जितनी बड़ी हिट हुई, उतनी ही ज्यादा कंट्रोवर्शियल भी रही। आमिर खान ने फिल्म में एक एलियन का किरदार निभाया, जो गलती से धरती पर आ जाता है। यहां आकर वह लोगों के निजी फायदे के लिए धर्म के गलत इस्तेमाल को देखते है और उससे काफी आहत होता है। फिल्म में ज्यादातर हिंदू धर्म से जुड़ी चीजों को दिखाया गया है। ऐसे में हिंदू धर्म से जुड़े कुछ लोगों ने आवाज उठाई कि फिल्म में हिंदुत्व के गलत चेहरे को दिखाया गया है और अनावश्यक रूप से हिंदू रीति-रिवाजों का मजाक उड़ाया गया है।
'दोजख: स्वर्ग की खोज में' (2015)
फिल्म मुस्लिम पिता और बेटे पर आधारित है, जो फिल्म की शुरुआत से ही इस्लाम धर्म के कट्टर अनुयायी दिखाए गए हैं। कट्टर मुस्लिम पिता इस बात को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता है कि उसके बेटे की दोस्ती एक हिंदू पुजारी से है। बेटा हिंदू रीति-रिवाजों और त्योहारों को काफी पसंद करने लगता है। यहीं से खड़ा होता है विवाद और ये कट्टर पिता अपने बेटे को खो देता है। आखिर में कट्टर पिता इस बात को मान लेता है कि उसे धर्म से ज्यादा अपने बेटे की जरूरत है।
'ओह माय गॉड' (2012)
इस कॉमेडी ड्रामा फिल्म में समाज के लिए एक खास संदेश दिया गया है। पूरी फिल्म एक नास्तिक के आसपास घूमती है। कई मसाला मूवी के बीच में यह फिल्म एक ताजी हवा की तरह थी। फिल्म में धर्म के नाम पर जमकर हो रहे व्यावसायीकरण पर प्रकाश डाला गया है। यह फिल्म उस देश के लिए बनाई गई जहां हजारों लोग भगवान के अवतार कहे जाने वाले लोगों की पूजा करते हैं, उन पर अंधा विश्वास करते हैं। फिल्म को कई जगह विवादों का सामना करना पड़ा। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड से फिल्म में हिदू धर्म को लेकर बोले गए शब्दों के खिलाफ एक्शन लेने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने यह आदेश एक याचिका के आधार पर दिया। काफी तनाव और विवादों के बाद फिल्म आगे बढ़ सकी, लेकिन बड़ी संख्या में दर्शकों ने फिल्म को पसंद भी किया।
मोहल्ला अस्सी ः उपन्यास पर आधारित सनी देओल की फिल्म 'मोहल्ला अस्सी ' भी विवादों में रही। फिल्म पर हिंदू भावनाओं के विपरीत बताने के आरोप को काफी गंभीरता से लेते हुए स्टार कॉस्टिंग को समन जारी किए गए। दायर मामले में कहा गया कि फिल्म मोहल्ला अस्सी में कलाकार को भगवान शंकर का वेश धारण कर गाली-गलौज करते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा फिल्म में धार्मिक नगर को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने फिल्म पर रोक भी लगा दी।
बजरंगी भाईजान ः साल 2015 की सुपरहिट फिल्मों में एक बजरंगी भाईजान के टाइटल को लेकर बवाल मचा। आरोप हैं कि फिल्म का टाइटल भगवान हनुमान के उपनाम से प्रेरित है। साथ ही कुछ हिंदू संगठनों ने कोर्ट में कहा कि फिल्म के एक गाने ' सेल्फी ले ले रे.. ' में हनुमान चालीसा का मजाक उड़ाया गया है। हालांकि कोर्ट में फिल्म को हरी झंडी मिल गई।
गुड्डू रंगीला ः निर्देशक सुभाष कपूर की फिल्म ‘गुड्डू रंगीला’ के एक गाने ‘ कल रात माता का मुझे ईमेल आया है’ को लेकर इसके निर्माताओं को धमकी मिली। बाद में सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कई संवादों पर कैंची चलाई।
विश्वरूपम : कमल हसन की जासूसी रोमांचक फिल्म 'विश्वरूपम' पर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि फिल्म में समुदाय को गलत रूप में दिखाया गया है। इसके अलावा कमल की एक और फिल्म 'दशावतरम' को लेकर भी बवाल मचा ।
एमएसजी : डेरा सच्चा सौदा के संत गुरमीत राम रहीम सिंह की फिल्म मैसेंजर ऑफ गॉड (एमएसजी) रिलीज होने से पहले ही सुर्खियों में रही। गुरमीत राम रहीम सिंह पर गुरू गोविंद सिंह जी की नकल करने के जो आरोप लगे। साथ ही सेंसर बोर्ड ने 'एमएसजी' की रिलीज पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इसमें राम रहीम ने खुद को 'भगवान' के रूप में पेश किया है। इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।
जो बोले सो निहाल : पंजाब में सिख संगठनों ने इस फिल्म का विरोध किया और धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया।
बाहुबली ः इस साल की सुपरहिट फिल्म बाहुबली को लेकर भी विवाद हुआ। फिल्म के एक सीन में अभिनेता प्रभाष भगवान शिव की मुर्ति को उखाड़ कर कंधे पर रख लेता है। इस सीन को लेकर कुछ हिंदू संगठनों ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया।
-----------------------
' मैं जितने धर्मों को जानता हूं उन सब में हिंदू धर्म सबसे अधिक सहिष्णु है। इसमें कट्टरता का जो अभाव है वह मुझे बहुत पसंद आता है, क्योंकि इससे उसके अनुयायों को आत्माभिव्यक्ति के लिए अधिक-से-अधिक अवसर मिलता है। हिंदू धर्म एकांगी धर्म नहीं होने के कारण उसके अनुयायी न सिर्फ अन्य सब धर्मों पर आदर कर सकते हैं लेकिन दूसरे धर्मों में जो कुछ अच्छाई हो उसकी प्रशंसा भी कर सकते हैं और उसे हजम भी कर सकते हैं।' राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ये विचार वर्तमान दौर में प्रासंगिक हैं या नहीं इस बहस में पड़ने से पहले टीवी पर आपत्तिजनक कंटेंट दिखाए जाने की शिकायत करने के लिए 2011 में गठित संस्था ब्रॉडकास्ट कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल (बीसीसीसी) की हालिया रिपोर्ट पर एक नजर डाल लेते हैं। रिपोर्ट मे बताया गया है कि टेलीविजन के कंटेंट से संबंधित शिकायतों की प्रवृत्ति में बदलाव आया है। रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2012 और नवंबर 2015 के बीच प्राप्त टीवी कंटेंट की करीब पांच हजार शिकायतों में से 28 प्रतिशत ‘धर्म व समुदाय’ से संबंधित थीं। यानी एक चौथाई से भी ज्यादा दर्शकों की भावनाएं आहत सिर्फ धर्म को लेकर हुईं। मतलब साफ है कि भावनाएं आहत होने वाले दिलों की तादाद बढ़ी हैं। शायद हर चोट का इलाज दुनिया में है लेकिन ये बार-बार छोटी छोटी बात पर आहत होने वाली भावनाओं वाली बीमारी लाइलाज है। वर्तमान दौर में भावनाएं आहत होने के कई प्रकार हैं। मसलन, सब टीवी पर प्रसारित होने वाले भगवान चित्रगुप्त पर आधारित कॉमेडी सीरियल 'यम हैं हम ' के कंटेंट को लेकर कुछ कायस्थ संस्थाओं ने बीसीसीसी के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उनका कहना था कि शो में चित्रगुप्त, जिन्हें कायस्थ अपना भगवान मानते हैं, को बेहद ही मजाकिया और गलत अंदाज में प्रस्तुत किया गया है। हालांकि सीरियल के कुछ एपिसोड देखने के बाद बीसीसीसी इस नतीजे पर पहुंची कि यह शो समाज के लिए अच्छे मैसेज देता है। इससे किसी भी धर्म अथवा समुदाय की भावना आहत नहीं होती है। इसी तरह सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले शो 'संकटमोचन हनुमान' के बारे में कहा गया कि इस धारावाहिक के पात्र अजीबोगरीब हैं और इसमें भगवान हनुमान से संबंधित मनगढ़ंत किस्से दिखाए गए हैं। शो को देखने के बाद बीसीसीसी ने सारे आरोपों को खारिज किया और प्रसारण प्रतिबंध से भी इन्कार किया। सवाल उठता है कि क्या सचमुच धार्मिक शो में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है या यूं ही बात-बात पर भावनाएं आहत हो जाती हैं? लाइफ ओके के चर्चित शो 'देवों के देव महादेव' के सहयोगी संपादक रह चुके देवदत्त पटनायक इस तरही की शिकायतों को बेतुका बताते हैं। वह कहते हैं, ' हमने अपने शो महादेव में भगवान शंकर की बेटी का भी जिक्र किया, जिसके बारे में किसी भी ग्रंथ में कुछ नहीं लिखा गया है लेकिन हमें एक लोककथा के जरिए इसकी जानकारी मिली और हमने दर्शकों के सामने इसी को अपने ढंग से प्रस्तुत कर दिया। अब आप ही बताइए, यह कौन तय करेगा कि क्या सही है और क्या गलत? मेरी समझ से ऐसे प्रयोगों की तारीफ होनी चाहिए। ' वह आगे कहते हैं, ' बीआर चोपड़ा के 'महाभारत' को ही देख लीजिए। पारंपरिक महाभारत को संपादित कर 12 अध्याय का कर दिया गया लेकिन आम धारणा यह बन गई कि चोपड़ा के 'महाभारत' जो दिखाया गया वो सही था। इसी तरह रामानंद सागर की 'रामायण' को देखकर भी लोगों ने अपने दिमाग में भगवान और उनके किस्सों की एक छवि बना ली। हालांकि यह सीरियल सिर्फ तुलसीदास के रामचरित मानस से प्रेरित था। आज तक दक्षिण भारत के रामायण का कहीं जिक्र नहीं किया गया है।' देवदत्त आगे कहते हैं, ' उदाहरण के तौर पर स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले शो 'सिया के राम' को ले लीजिए। अब तक हम सीता को एक बेबस और लाचार स्त्री के रूप में प्रस्तुत करते रहे हैं लेकिन इस शो के जरिए पहली बार दर्शकों को रामायण, सीता की नजर से देखने का मौका मिल रहा है। ऐसा भी नहीं है कि शो में मनगढ़ंत किस्से दिखाए जा रहे हैं । यह दक्षिण भारत के रामायण से प्रेरित धारावाहिक है। इसमें बताया गया है कि सीता सिर्फ एक बेबस लड़की नहीं है बल्कि शिक्षित और मजबूत भी है। ' इस बाबत सीरियल 'महाभारत' के प्रोड्यूसर सिद्घार्थ तिवारी कहते हैं,' जब भगवान को उस तरह से पेश किया जाता है जैसे साधारण लोग रहते हैं और व्यवहार करते हैं तब लोग इस तरह की कल्पना से ज्यादा जुड़ाव महसूस कर पाते हैं चाहे वह कोई भी दौर रहा हो। ' हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में भावनाएं खुद नहीं भड़कतीं, बल्कि भड़काई जाती हैं। वर्ना भावनाएं आहत तो भोजपुरी भजन ‘ऐ गणेश के पापा’ के बोल पर भी हो सकती थीं। भोजपुरी गायिका कल्पना द्वारा गया यह भजन पूरे उत्तर भारत में मशहूर हुआ था। आज भी धार्मिक उत्सवों में यह भजन जरूर बजता है लेकिन कहीं कोई विरोध के स्वर नहीं उठते हैं। जानकार मानते हैं कि भावनाएं आहत होने के पीछे पहचान स्थापित करने की एक कोशिश भी होती है।
'हिंदुत्व में हर विचार के लोगों के लिए जगह'
दीवी सीरियल के कुछ दर्शकों की भावनाएं भले ही बहुत जल्द आहत हो जाती हों लेकिन हिंदुत्व की मूल अवधारणा इससे भिन्न है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व की जड़ता पर प्रहार करते हुए उसकी उदारता की व्याख्या किया और कहा, ' यह एक ऐसा धर्म है जिसका कोई एक संस्थापक नहीं है। इसका कोई एक धर्मग्रंथ नहीं है और न ही इनकी सीखों का एक रूप है। इसे सनातन धर्म के तौर पर बताया गया है। यह सदियों की प्रेरणा और सामुदायिक समझदारी की परिणति है। हिंदुत्व इसी का प्रचार - प्रसार है। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एनवी रमन्ना की पीठ ने मंदिरों में पुजारियों की नियुक्तियों के फैसले के संदर्भ में हिंदुत्व के बारे में कहा, ' लोगों का समूह जिन विचारों को
मानता है धर्म उसी को अपने में समाहित करता है। एक धर्म के रूप में हिंदुत्व किसी एक विचार को किनारे किए या उसे चुने बगैर सभी तरह के विचारों को अपने में जगह देता है। ' कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य से तो यह कहा जा सकता है कि हमारे धर्मनिरपेक्ष ढांचे के तहत धार्मिक मामलों से वह किनारे रहे लेकिन अदालतों से ऐसा नहीं कहा जा सकता है।'
-
------------------
30 हजार के करीब शिकायतों का निपटारा बीसीसीसी ने 2011 में अपने गठन से लेकर इस साल नवंबर तक किया है।
01 फीसदी शिकायतें कलाकारों को धूम्रपान करते पेश करने तथा शराब व नशीले पदार्थों के सेवन के दृश्यों के प्रसारण से जुड़ी हैं। इन दृश्यों से घर के बड़े - बुर्जुग खफा हैं।
02 फीसदी शिकायतें आम बंदिशों की कैटेगरी में हैं। इनमें देश का गलत नक्शा दिखाना, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान और अदालत की कार्यवाही को गलत तरीके से दिखाना शामिल है।
08 प्रतिशत ने टीवी शोज में अभद्र भाषा के इस्तेमाल तथा अश्लीलता को लेकर शिकायत की है। विशेषकर अंग्रेजी कार्यक्रमों के कंटेंट की।
11 प्रतिशत शिकायतें डरावने व अंधविश्वास फैलाने वाले शो की हैं। शिकायत करने वाले ज्यादातर लोगों ने इनके प्रसारण समय पर सवाल उठाए हैं।
11 फीसदी शिकायतें क्राइम शोज के बारे में आई हैं। खासकर इनमें दिखाई जाने वाली शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना और घरेलू हिंसा से लोग आहत हुए हैं।
28 प्रतिशत ने धार्मिक व पौराणिक कथाओं पर आधारित कार्यक्रमों को लेकर शिकायतें की हैं। इनका मानना है कि कुछ शो तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।
39 फीसदी शिकायतें विकलांग, बाल विवाह, शोषण, महिलाओं का रूढ़िवादी चित्रण और सार्वजनिक भावना को ठेस पहुंचाने वाले कंटेंट के प्रसारण से जुड़ी हैं।
क्या है बीसीसीसी?
चैनलों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने व कार्यक्रमों से जुड़े सुधारात्मक उपाय सुझाने के लिए जून 2011 में भारतीय प्रसारण संघ ने बीसीसीसी का गठन किया गया था। इसमें 13 सदस्य हैं। यह काउंसिल न केवल दर्शकों से मिलने वाली शिकायतों की, बल्कि गैर सरकारी संगठनों व सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं की भी समीक्षा करती है।
बन चुका है हिंदू लीगल सेल
सीरियल अथवा फिल्मों के जरिए जिनकी भावनाएं आहत हुई जा रही हैं, उनके दिलों पर कानूनी मरहम लगाने के लिए हिंदू लीगल सेल बन चुका है। इसे देशभर के 100 से ज्यादा वकीलों ने पिछले साल लॉन्च किया था। यह संगठन 'हिंदू मानवाधिकारों' के लिए लड़ने के साथ ही आस्था के खिलाफ किसी भी अनादर से निपटेगा। इस सेल ने हाल में आमिर खान और 'पीके' के निर्माताओं के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए एक मामला दर्ज कराया था। सेल ने फिल्ममेकर रामगोपाल वर्मा के गणेश चतुर्थी मनाने के औचित्य को लेकर किए गए ट्वीट्स को लेकर वर्मा के खिलाफ भी एक मामला दर्ज कराया था।
-----------------
जिन धार्मिक शो की
हो चुकी है शिकायत
यम हैं हम
शिकायत ः सब टीवी पर प्रसारित होने वाला भगवान चित्रगुप्त जी पर आधारित कॉमेडी सीरियल 'यम हैं हम ' पर भगवान पर आपत्तिजनक टिप्पणी और तरह तरह के बेतुके व्यंग्य पर कई कायस्थ संस्थाओं ने अपना विरोध जाहिर किया है। हालांकि सीरियल के कुछ एपिसोड देखने के बाद बीसीसीसी इस नतीजे पर पहुंची कि यह शो समाज के लिए अच्छे मैसेज देता है। इससे किसी भी धर्म अथवा समुदाय की भावना आहत नहीं होती है।
यम किसी से कम नहीं
शिकायतः एपिक चैनल के शो यम किसी से कम नहीं के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि यम का किरदार कमजोर और लालची है। यह किरदार भारतीय भगवान का उपहास उड़ाता है लेकिन बीसीसीसी ने माना कि शो में यम का किरदार कॉमिक और व्यंग्यात्मक है। इसमें कुछ भी अनादरपूर्ण अथवा आहत करने वाला नहीं है।
संकटमोचन हनुमान
सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले शो संकटमोचन हनुमान के बारे में कहा गया कि इस धारावाहिक के पात्र व्यंगात्मक और ऊटपटांग से हैं। इस शो को देखने के बाद बीसीसीसी ने सारे आरोपों को खारिज किया और प्रसारण प्रतिबंध से भी इन्कार किया।
नारायन - नारायन
बिग मैजिक पर प्रसारित होने वाले शो नारायन - नारायन की भी शिकायत हो चुकी है। आरोप है कि इस शो में नारद मुनि को बेहद कॉमिक और नौटंकी के अंदाज में पेश किया गया है और इसकी कहानियां फेक हैं। हालांकि बीसीसीसी ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया और इसे सिर्फ हास्य शो करार किया।
महाभारत ः स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले एकता कपूर के शो महाभारत की भी शिकायत हुई थी। आरोप है कि इस शो के कंटेंट से छेड़छाड़ हुई है। बीसीसीसी ने पाया कि यह शो एक अलग तरह का प्रयोग था। इस पर पाबंदी का सवाल नहीं है।
देवों के देव महादेव ः लाइफ ओके का चर्चित सीरियल देवों के देव महादेव को लेकर भी बवाल मच चुका है। आरोप है कि सीरियल में भगवान शिव और पार्वती के बीच के प्रेम को बेहद ही अश्लील तरीके से दिखाया गया है। साथ ही ऐसे किस्से भी दिखाए गए हैं जिनका ग्रंथों में कहीं जिक्र नहीं है। हालांकि बीसीसीसी ने इस शो में किसी भी तरह की अश्लीलता होने और कंटेंट से छेड़छाड़ से इन्कार किया।
बुद्धा ः जी टीवी के सीरियल बुद्धा के कंटेंट को लेकर कई शिकायतें बीसीसीसी को मिलीं। आरोप है कि भगवान बुद्ध के किरदार को जरूरत से ज्यादा ग्लैमर रूप दिया गया है। दिलचस्प यह है कि बौद्ध धर्म के भगवान बुद्ध की जीवनी पर आधारित शो में कंटेंट से संबंधित शिकायतें हिंदू धर्म के लोगों ने किया। आरोपों को बीसीसीसी ने खारिज कर दिया।
------------
जिन गानों ने बनाया भक्त
और भगवान को मॉर्डन
बीडी जलइले से ज्योति जलइले तक…
2010 में आई फिल्म ‘अतिथि तुम कब जाओगे’ में एक भजन ‘ज्योति जलाइले’ पर कुछ लोगों ने नाक-भौं सिकोड़ी थी। सुखविंदर सिंह द्वारा गाया गया यह भजन फिल्म ‘ओमकारा’ के एक आइटम नंबर ‘बीड़ी जलाइले’ के तर्ज पर है। गुलजार द्वारा लिखे गए गीत बीड़ी जलाइले को बिपाशा बासु के ऊपर बेहद हॉट तरीके से फिल्माया गया था। कई ऐसे भी मॉर्डन भजन हैं जिन्हें क्षेत्रीय भाषाओं में रिकॉर्ड किया गया लेकिन वह पूरे देश में मशहूर हुईं।
ऐ गणेश के पापा
भोजपुरी का बहुचर्चित भजन ‘ऐ गणेश के पापा’ बेहद लोकप्रिय हुआ था। 1997 में भोजपुरी गायिका कल्पना द्वारा गया यह भजन बिहार सहित पूर्वांचल में बेहद मशहूर हुआ था। इस भजन में देवी पार्वती और शंकर भगवान के बीच हो रही एक काल्पनिक वार्तालाप के साथ गाया गया है। देवी पार्वती शंकर भगवान को गणेश के पापा कहकर सबोंधित करती हैं और उनके लिए पत्थर पर भांग पीसने में अपनी असमर्थता जताती हैं। इस गाने की पूर्वांचल में आज भी खूब धूम है।
राधा-कृष्ण की हरियाणवी लव स्टोरी
कुछ साल पहले एक हरियाणवी भजन पूरे हिंदी क्षेत्र में हिट हुआ था। इस भजन के बोल कुछ इस प्रकार थे- अरे रे मेरी जान है राधा, तेरे पे कुर्बान में राधा…रह न सकूंगा तुझसे दूर मैं… इस गीत में श्रीकृष्ण राधा से अपने प्रेम का इजहार कर रहे हैं। इस गाने की धूम आज भी है।
-------
हॉलीवुड में धर्म का बाजार गर्म
एक्स-मैन: एपोकैलिप्स ः हाल ही में एक्स-मैन सीरीज की नई फिल्म का ट्रेलर जारी हुआ है, जिसका टाइटल है ‘एक्स-मैन: एपोकैलिप्स’। इसके ट्रेलर में फिल्म का विलेन खुद की तुलना हिन्दू देवता भगवान राम और कृष्ण से करता नजर आ रहा है। इस बारे में पता चलने पर अमेरिका में एक हिन्दू नेता राजन जेड ने इस डायलॉग को फिल्म से हटाने की मांग की है। खबरों के मुताबिक, फिल्म में अभिनेता ऑस्कर इसाक विलेन की भूमिका में हैं। ट्रेलर में वो एक डायलॉग बोलते नजर आ रहे हैं 'मुझे जिंदगी में कई बार कई नामों से पुकारा गया है। राम, कृष्ण और यावेह।' राजन जेड ने डायरेक्टर ब्रायन सिंगर से इस डायलॉग को ट्रेलर और फिल्म दोनों से हटाने की मांग की है, क्योंकि यह डायलॉग धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।
आइज वाइड शट: श्रीलंकाई तमिल कर्नाटक शैली के गायक मानिकराम योगेश्वरन से लंदन के एक स्टूडियो ने गीता के श्लोक गाने के लिए बुलावा भेजा। वह काफी खुश हुए, क्योंकि उन्हें विश्व स्तर पर परफॉर्म करने का मौका मिल रहा था लेकिन इसका इस्तेमाल स्टेनले क्यूब्रिकके निर्देशन में बनी विवादित फिल्म आइज वाइड में टॉम कू्रज और निकोल किडमैन के अंतरंग दृश्यों के फिल्मांकन में किया गया। योगेश्वरन को पता भी नहीं था कि उनके द्वारा गया श्लोक का इस्तेमाल इस तरह से किया जाएगा।
होली स्मोक: इसी कड़ी में केट विंसलेट और हार्वे केटल अभिनीत फिल्म होली स्मोक को भी कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इसकी भारत में शूटिंग को लेकर कहा गया कि इसमें हिंदू धर्म को नास्तिक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
नाइन लाइव्स: विश्व प्रसिद्ध सोनी म्यूजिक ने वर्ष 1997 में नाइन लाइव्स सीडी निकाली थी। इसमें भगवान कृष्ण को अपमानजनक मुद्रा में दिखाया गया था। भगवान कृष्ण के सीने से ऊपर का हिस्सा बिल्ली का था।
इंडियाना जोंस एंड टेंपल आॅफ डूम: स्पिलबर्ग ने इंडियाना जोंस और द टेंपल आॅफ डूम में दो औरतों के चित्र दिखाए, जिसमें एक को विदूषक और दूसरी को दुष्टात्मा के रूप में दिखाया गया। सर्वविदित है कि हिंदू धर्म में देवी काली को बुराइयों को खत्म करने वाली शक्ति के रूप में जाना जाता है, लेकिन स्पिलबर्ग ने उन्हें दानवी के रूप में दर्शाया।
मडोना: वर्ष 1998 में एमटीवी अवार्ड समारोह के दौरान मडोना ने खुद को भगवान शिव की वेशभूषा में प्रस्तुत करके अंतराष्ट्रीय फैशन जगत में हलचल मचा दी थी। मडोना ने इस बात को काफी भुनाया।
टूडी स्टेलर: हाल में लंदन के रॉयल ओपेरा हाउस के तिब्बती पीस गार्डेन में पॉप स्टार स्टींग्स की पत्नी टूडी स्टेलर एक ऐसी स्कर्ट में दिखी, जो भगवान गणेश के परिधानों की डिजाइन पर आधारित थी। इस ड्रेस की तारीफ तो हुई, पर ऐसे वस्त्रों पर हिंदुओं के देवी-देवताओं के चिन्हों-प्रतीकों का इस्तेमाल धर्म विरुद्ध है।
जेना: वॉरियर प्रिंसेस: 1999 के फरवरी माह में दुनिया के सबसे मशहूर टीवी सीरियलों में से एक जेना: वॉरियर प्रिंसेस में कृष्ण, हनुमान, काली और इंद्रजीत जैसे हिंदू देवताओं को इस अंदाज में दिखाया गया, जिसकी चर्चा हमारे धर्मग्रंथों या किंवदंतियों में कहीं नहीं है।
माइक मायर: वर्ष 1999 के अप्रैल माह में वैनिटी फायर के लिए फोटोग्राफर डेविड ला चैपल माइक मायर के शॉट्स ले रहे थे। इन शॉट्स में माइक मायर ने हिंदू देवी-देवताओं की वेशभूषा में एक कार्टूनिस्ट की तरह पोज दिया था। दक्षिण एशियाई पत्रकार संघ के सदस्यों ने इसकी निंदा की और कहा कि यह हिंदू देवी-देवताओं का घोर अपमान है, पर न्यूज वीक ने इस संदर्भ में सफाई दी कि हो सकता है, इस समय हॉलीवुड हिंदूवाद को बढ़ावा दे रहा हो।
-------------
जिनसे आहत हुई भावना
'धर्म संकट' ः हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'धर्म संकट ' को लेकर बवाल मच चुका है। फिल्म में एक्टर परेश रावल, नसीरुद्दीन शाह और अनु कपूर के जरिए की गई कॉमेडी ने कुछ विवादित मुद्दे खड़े कर दिए। पूरी फिल्म एक कट्टर हिंदू (परेश रावल) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसको बड़े होने के बाद इस बात का पता चलता है कि वह तो पैदायशी मुस्लिम है। उसे हिंदू परिवार ने सिर्फ गोद लिया था। फिल्म का प्लॉट इतना विवादास्पद है कि सेंसर बोर्ड को भी फिल्म को सर्टिफिकेट देने से पहले एक पंडित और एक मौलवी को बुलवा कर पहले उन्हें फिल्म दिखानी पड़ी। उसके बाद सर्टिफिकेशन प्रोसेस को ध्यान में रखते हुए उनसे पूछा गया कि क्या कहीं कोई विवादास्पद सीन फिल्म से काटना है?
पीके (2014)
बीते साल रिलीज हुई ये फिल्म जितनी बड़ी हिट हुई, उतनी ही ज्यादा कंट्रोवर्शियल भी रही। आमिर खान ने फिल्म में एक एलियन का किरदार निभाया, जो गलती से धरती पर आ जाता है। यहां आकर वह लोगों के निजी फायदे के लिए धर्म के गलत इस्तेमाल को देखते है और उससे काफी आहत होता है। फिल्म में ज्यादातर हिंदू धर्म से जुड़ी चीजों को दिखाया गया है। ऐसे में हिंदू धर्म से जुड़े कुछ लोगों ने आवाज उठाई कि फिल्म में हिंदुत्व के गलत चेहरे को दिखाया गया है और अनावश्यक रूप से हिंदू रीति-रिवाजों का मजाक उड़ाया गया है।
'दोजख: स्वर्ग की खोज में' (2015)
फिल्म मुस्लिम पिता और बेटे पर आधारित है, जो फिल्म की शुरुआत से ही इस्लाम धर्म के कट्टर अनुयायी दिखाए गए हैं। कट्टर मुस्लिम पिता इस बात को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता है कि उसके बेटे की दोस्ती एक हिंदू पुजारी से है। बेटा हिंदू रीति-रिवाजों और त्योहारों को काफी पसंद करने लगता है। यहीं से खड़ा होता है विवाद और ये कट्टर पिता अपने बेटे को खो देता है। आखिर में कट्टर पिता इस बात को मान लेता है कि उसे धर्म से ज्यादा अपने बेटे की जरूरत है।
'ओह माय गॉड' (2012)
इस कॉमेडी ड्रामा फिल्म में समाज के लिए एक खास संदेश दिया गया है। पूरी फिल्म एक नास्तिक के आसपास घूमती है। कई मसाला मूवी के बीच में यह फिल्म एक ताजी हवा की तरह थी। फिल्म में धर्म के नाम पर जमकर हो रहे व्यावसायीकरण पर प्रकाश डाला गया है। यह फिल्म उस देश के लिए बनाई गई जहां हजारों लोग भगवान के अवतार कहे जाने वाले लोगों की पूजा करते हैं, उन पर अंधा विश्वास करते हैं। फिल्म को कई जगह विवादों का सामना करना पड़ा। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड से फिल्म में हिदू धर्म को लेकर बोले गए शब्दों के खिलाफ एक्शन लेने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने यह आदेश एक याचिका के आधार पर दिया। काफी तनाव और विवादों के बाद फिल्म आगे बढ़ सकी, लेकिन बड़ी संख्या में दर्शकों ने फिल्म को पसंद भी किया।
मोहल्ला अस्सी ः उपन्यास पर आधारित सनी देओल की फिल्म 'मोहल्ला अस्सी ' भी विवादों में रही। फिल्म पर हिंदू भावनाओं के विपरीत बताने के आरोप को काफी गंभीरता से लेते हुए स्टार कॉस्टिंग को समन जारी किए गए। दायर मामले में कहा गया कि फिल्म मोहल्ला अस्सी में कलाकार को भगवान शंकर का वेश धारण कर गाली-गलौज करते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा फिल्म में धार्मिक नगर को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने फिल्म पर रोक भी लगा दी।
बजरंगी भाईजान ः साल 2015 की सुपरहिट फिल्मों में एक बजरंगी भाईजान के टाइटल को लेकर बवाल मचा। आरोप हैं कि फिल्म का टाइटल भगवान हनुमान के उपनाम से प्रेरित है। साथ ही कुछ हिंदू संगठनों ने कोर्ट में कहा कि फिल्म के एक गाने ' सेल्फी ले ले रे.. ' में हनुमान चालीसा का मजाक उड़ाया गया है। हालांकि कोर्ट में फिल्म को हरी झंडी मिल गई।
गुड्डू रंगीला ः निर्देशक सुभाष कपूर की फिल्म ‘गुड्डू रंगीला’ के एक गाने ‘ कल रात माता का मुझे ईमेल आया है’ को लेकर इसके निर्माताओं को धमकी मिली। बाद में सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कई संवादों पर कैंची चलाई।
विश्वरूपम : कमल हसन की जासूसी रोमांचक फिल्म 'विश्वरूपम' पर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि फिल्म में समुदाय को गलत रूप में दिखाया गया है। इसके अलावा कमल की एक और फिल्म 'दशावतरम' को लेकर भी बवाल मचा ।
एमएसजी : डेरा सच्चा सौदा के संत गुरमीत राम रहीम सिंह की फिल्म मैसेंजर ऑफ गॉड (एमएसजी) रिलीज होने से पहले ही सुर्खियों में रही। गुरमीत राम रहीम सिंह पर गुरू गोविंद सिंह जी की नकल करने के जो आरोप लगे। साथ ही सेंसर बोर्ड ने 'एमएसजी' की रिलीज पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इसमें राम रहीम ने खुद को 'भगवान' के रूप में पेश किया है। इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।
जो बोले सो निहाल : पंजाब में सिख संगठनों ने इस फिल्म का विरोध किया और धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया।
बाहुबली ः इस साल की सुपरहिट फिल्म बाहुबली को लेकर भी विवाद हुआ। फिल्म के एक सीन में अभिनेता प्रभाष भगवान शिव की मुर्ति को उखाड़ कर कंधे पर रख लेता है। इस सीन को लेकर कुछ हिंदू संगठनों ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया।
-----------------------
No comments:
Post a Comment
thanks